Palmistry is called a technique for characterization and the foretelling the future through the study of Palm. Palmist promise to tell about your age, knowledge, heath , money, children, joy, sorrow, success and defeat, journey to foreign country etc etc. Lot of people believes in the palmistry including uneducated to well educated. It is believed that future as well as past can be decoded thru the palmistry. A lot of books can be found on this subject. You will found thousands of palmist and millions of people believing in the palmist. Beauty of the subject is that palmist till yet could not decide that lines of which hand should be considered for judging the past and future of … Continue reading Palmistry: A bunch of rubbish→
आज अवतारवादी विचारधारा में विश्वास रखने वाले हिन्दू भाइयों के मध्य एक नए भगवान् प्रसिद्धि की चरम सीमा को छु रहेहैं। इनके ध्यान से, इनमें श्रध्दा रखने पर तत्कालिक लाभ प्राप्त होने की हसरत इनके भक्त जनता तक पहुंचा रहे हैं . बड़े बड़े उद्योग पति, राजनैतिज्ञ, नाटक मंच की हस्तियों को इनके दरबार में सिर झुकाते हुए देखा जा सकता है। आने वाली चढावे कातो हिसाब ही क्या? तात्कालिक लाभ होने की हसरत और लुभावने ख्वाब लोगों की भीड़ को इन की तरफ खींच रही है। आलम येहै की पौराणिक हिन्दुओं के मंदिरों में रखी मूर्तियों की जगह इस नए भगवान् ने ले ली है। इस नवीन उत्त्पन्न हुए भगवान् के बारे में पूर्ण जानकारी भी उपलब्ध नहीं है … Continue reading मांसाहारी साईं→
आज हमारे देश में तथाकथित भगवानो का एक दौर चल निकला है. इन्हीं भगवानों में से एक हैं शिर्डी के साईं बाबा. आज भारतवर्ष के हर नगर में इनके अनेकों मंदिर हैं . अनेकों संस्थाएं इनके नाम से चल रही हें एवं देश विदेश में इनको मानने वालों की तथा इनके लिए दान देने वालों की संख्या में निरंतर वृध्धि हो रही है. महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्थित शिर्डी साईं बाबा शीरीं के अनुसार वर्ष २०११ में केवल इस ट्रस्ट को ही ३६ किलो ग्राम सोना, ४४० किलोग्राम चांदी एवं ४०१ Cr रूपया दान में मिला. समस्त साईं मंदिरों में दिए गए दान का तो अनुमान भी लगाना भी संभव नहीं है. आज साईं को इश्वर का अवतार माना जा रहा है . हमारे महपुरुषों श्री राम कृष्ण … Continue reading साईं – वैदिक धर्म के लिए अभिशाप→
मुहूर्तवादियों से कुछ प्रश्न १. मुहूर्त क्या है और उसका क्या अर्थ है ? २. मुहूर्त का प्रारम्भ कब से हुआ और क्यों ? उसका प्राचीनतम ग्रन्थ कौन सा है ? ३. मुहूर्त शुभाशुभ किस रूप में है , उपपत्ति वा प्रमाणपूर्वक बताइये ? ४. क्या मुहूर्तों के शुभाशुभ होने में चार वेद, ६ शाश्त्र, और दस उपनिषदों में कहीं कोई प्रमाण है ? हो तो बताइये। ५. ऐसा कोई मुहूर्त का ग्रन्थ है जिसकी आद्योपान्त प्रत्येक बात की सिद्धि करके बतला सकें अर्थात जिसकी सोपपतिक व्याख्या हो ? ६. विना किसी कार्य के शुभमुहूर्त लाभ और अशुभ मुहूर्त हानि पहुंचा सकता है अथवा नहीं ? किस प्रकार ? ७ यदि मुहूर्त अच्छे होते हैं तो स्वयं फलितज्ञा अच्छे मुहूर्त … Continue reading मुहूर्तवादियों से कुछ प्रश्न: Arya Great→
तिथी को शुभ अशुभ मानने वालों से कुछ प्रश्न : १. तिथी को शुभ अशुभ मानने का कारण क्या है ? २. तिथि के शुभ अशुभ होने और सफलता असफलता के कारण होने में वेदादि सत्य शाश्त्रों के प्रमाण दीजिये ? ३. तिथी का तथा कर्म सिद्धांत का कैसा सम्बन्ध है ? सविस्तार बताइये। ४ शुभ तिथियों में किये हुए कार्य असफल क्यूँ हो जाते हैं ? ५. यदि किसी ने देश पर आक्रमण किया हो तब शुभ तिथि का क्या अर्थ होगा ? यदी रहेगा अथवा कोई दूसरा बनेगा ? ६. औषधि सेवन में शुभाशुभ तिथी की प्रतीक्षा करें तो तिथि से पूर्व रोगी महाप्रयाण ही करेगा।. ७. शुभकर्मों में तिथी की क्या आवश्यकता है ? ८ अशुभ कार्य … Continue reading तिथी को शुभ अशुभ मानने वालों से कुछ प्रश्न : Arya Great→
कुण्डली को सत्य मानने वालों से कुछ प्रश्न १. कुण्डली से जीवन के सम्बन्ध में ज्ञान कैसे होगा यह युक्ति से सिद्ध कीजिये ? २. कुंडली का विधान अथवा संकेत किसी वेदशास्त्र में हो तो प्रमाण दीजिये ? ३. कुंडली का कर्म सिद्धांत से क्या सम्बन्ध है सप्रमाण बताइये ? ४ जन्म कुंडली से जीवन का ज्ञान होता है अथवा चन्द्र कुंडली से और क्यों ? यदि दोनों में परस्पर विरोध हो तो किसको मानें और किसको नहीं ? ५. कुंडली के अनुसार मनुष्य की १२० वर्ष ही होती है। प्रत्यक्ष में देखा जाता है कि एक सौ बीस वर्ष से अधिक आयु वाले होते हैं। क्या प्रत्यक्ष भी मित्थ्या है ? ६. पति पत्नी की संतान रेखाएं एक समान … Continue reading कुण्डली को सत्य मानने वालों से कुछ प्रश्न : Arya Great→
वैदिक युग के पतन के बाद कर्म व्यवहार आधारित वर्ण व्यवस्था का स्थान जन्म आधारित घृणित जाती प्रथा ने ले लिया. जन्म आधारित प्रथा का स्थापन्न होने के वजह से सामाजिक बुराइयां अपने चरम पर पहुँच गयीं और कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था का पूर्णतया लोप हो गया. महर्षी दयानंदसरस्वती ने अपने अकाट्य तर्कों के आधार पर इस व्यवस्था का पुनर्स्थापन किया। महर्षी दयानंद ने इस बात का पुरजोर आगाज किया कि शुद्र के घर पैदा हुआ बालक अपने कर्मों के आधार पर ब्राहम्ण बन सकता है और ब्राहम्मण के घर उत्पन्न बालक यदी हींन कर्मों में लींन है तो वह शुद्र कहलाने के योग्य है ब्राहम्मण नहीं। पौराणिक धर्म ग्रंथों में इसके अनेकों प्रमाण स्थान स्थान पर उपस्थित हैं … Continue reading क्या वर्ण व्यवस्था जन्म आधारित है |→