विज्ञान से अनभिज्ञ खुदा

 विज्ञान से अनभिज्ञ खुदा -निश्चय परवरदिगार तुम्हारा अल्लाह है जिसने पैदा किया आसमानों और पृथिवी को बीच छः दिन के फिर क़रार पकड़ा ऊपर अर्श के तदबीर करताहै काम की।। मं0 3। सि0 11। सू0 10। आ0 समी0-आसमान आकाश एक और बिना बना अनादि है। उसका बनाना लिखने से निश्चय हुआ कि वह कुरान का अल्लाह पदार्थ  विद्या को नहीं जानता था ? क्या परमेश्वर के सामने छः दिन तक बनाना पड़ता है? तो जो ‘‘हो मेरे हुक्म से और हो गया’’ जब कुरान में ऐसा लिखा है फिर छः दिन कभी नहीं लग सकते, इससे छः दिन लगना झूठ है। जो वह व्यापक होता तो फिर अर्श को  क्यों ठहरता ? और जब काम की तदबीर करता है तो ठीक … Continue reading विज्ञान से अनभिज्ञ खुदा

क्या कुरान खुदा की बनाई हुयी है ?

  क्या कुरान खुदा की बनाई हुयी है ? जो परमेश्वर ही मनुष्यादि प्राणियों को खिलाता-पिलाता है तो किसी को रोग होना न चाहिये और सबको तुल्य भोजन देना चाहिये। पक्षपात से एक को उत्तम और दूसरे को निकृष्ट जैसा कि राजा और कंगले को श्रेष्ठ-निकृष्ट भोजन मिलता है,न होना चाहिये। जब परमेश्वर ही खिलाने-पिलाने और पथ्य कराने वाला है तो रोग ही न होना चाहिये। परन्तु मुसलमान आदि को भी रोग होते हैं। यदि खुदा ही रोग छुड़ाकर आराम करनेवाला है तो मुसलमानों के शरीरों में रोग न रहना चाहिये। यदि रहता है तो खुदा पूरा वैद्य नहीं है। यदि पूरा वैद्य है तो मुसलमानों के शरीर में रोग क्यों रहते हैं?यदि वही मारता और जिलाता है तो उसी खुदा को … Continue reading क्या कुरान खुदा की बनाई हुयी है ?

कुरानी जन्नत, दोजक और विज्ञान

कुरानी जन्नत, दोजक और विज्ञान  -जब कि हिलाई जावेगीपृथिवी हिलाये जाने कर।। और उड़ाए जावेंगेपहाड़ उड़ाये जाने कर।। बस हो जावंगेभुनुगेटकुड़े-2 ।। बस साहब दाहनी ओर वालेक्या हैं  साहब दाहनी ओर के।। और र्बाइं  ओर वाले क्या हैं र्बांइ  ओर के।। ऊपर पलंघसोने  के तारों से बुने हएु हैं तकिये किए हुए हैं ऊपर उनके आमने सामने ।और फिरेंगे ऊपर उनके लड़के सदा रहने वाले । साथ आबखारेां के और आफ़ताबोंके और प्यालां के शराब साफ़ से । नहीं माथा दुखाये जावेंगे उससे और न विरुद्ध बोलंगे। और मेवे उस कि़स्म से कि पसन्दकरें । और गोश्त जानवर पक्षियों केउस कि़स्म से कि पसन्द करें । और वास्ते उनके औरतें हैं अच्छी आँखों वाली।।मानिन्द मोतियों छिपाये हुओं की।। और बिछानै … Continue reading कुरानी जन्नत, दोजक और विज्ञान

क्या मुहम्मद का नाम अथर्ववेद में है

क्या मुहम्मद का नाम अथर्ववेद में है ? बहुत से मुसलमान ऐसा कहा करते और लिखा व छपवाया करते है कि हमारे मजहब की बात अथर्ववेद में लिखी है. इस का या उत्तर है कि अथर्ववेद में इस बात का नाम निशान भी नहीं है. प्रश्न : क्या तुम ने सब अथर्ववेद देखा है ? यदि देखा है तो अल्लोपनिषद देखो।  यह साक्षात उसमें लिखी है।  फिर क्यों कहते हो कि अथर्ववेद में मुसलमानों का नाम निशान भी नहीं है। जो इस में प्रत्यक्ष मुहम्मद  साहब रसूल लिखा है इस से सिध्द होता है कि मुसलामानों का मतवेदमूलक है। उत्तर : यदि तुम ने अथर्ववेद न देखो तो तो हमारे पास आओ आदि से पूर्ति तक देखो अथवा जिस किसी अथर्ववेदी … Continue reading क्या मुहम्मद का नाम अथर्ववेद में है

अल्लाह सर्वज्ञ और सर्वव्यापक नहीं

अल्लाह सर्वज्ञ और सर्वव्यापक  नहीं – जब हमने फरिश्तों से कहा कि बाबा आदम को दण्डवत करो देखो सभी ने दंडवत किया परन्तु शैतान ने न माना और अभिमान किया क्योंकि वो भी एक काफिर था |म १ सी १ सु २ आ ३४ समीक्षक – इससे खुदा सर्वज्ञ नहीं अर्थात भुत भविष्यत् और वर्त्तमान की पूरी  बातें नहीं जानता जो जानता हो तो शैतान को पैदा ही क्यों  किया। ? और खुदा में कुछ तेज भी नहीं है क्योंकि शैतान ने खुदा का हुक्म ही न माना और खुदा उस का कुछ भी न कर सका और देखिये ! एक शैतान काफिर ने खुदा का भी छक्का छुड़ा दिया तो मुसलमानो के कथनानुसार भिन्न जहाँ करोड़ों काफिर हैं वहाँ मुसलमानों … Continue reading अल्लाह सर्वज्ञ और सर्वव्यापक नहीं

दूसरे मतों के प्रति मुसलमानों की असहनशीलता

दूसरे मतों के प्रति मुसलमानों की असहनशीलता : -सब स्तुति परमेश्वर के वास्ते हैं जो परवरदिगार अर्थात् पालन करनहारा है सब संसार का क्षमा करने वाला दयालु है |  मं.  1। – सि. 1। सूरतुल्फातिहा आयत 1। 2 समीक्षक –  जो कुरान का खुदा संसार का पालन करने हारा होता और सब पर क्षमा और दया करता होता तो अन्य मत वाले और पशु आदि का भी मुसलमानों के हाथ से मरवाने का हुक्म न देता । जो क्षमा करनेहारा है तो क्या पापियों पर भी क्षमा करेगा ? और जो वैसा है तो आगे लिखेंगे कि “काफिरों का कतल करो” अर्थात् जो कुरान और पैगम्बर को न माने वे काफिर हैं एसा क्यों कहता ? इसलिये कुरान ईश्वर कृत … Continue reading दूसरे मतों के प्रति मुसलमानों की असहनशीलता

Right path & Falsehood

Right path & Falsehood  AV4.36  1.तान्त्सत्यौजाः प्र दहत्वग्निर्वैश्वानरो वृषा  । यो नो दुरस्याद्दिप्साच्चाथो यो नो अरातियात् । ।AV4.36.1 (वैश्वानराग्नि) सब जनों का हितकारी बल और (तान्त्सत्यौर्जा) उन की सत्य से उत्पन्न हो कर  बरसने वाली शक्ति  की अग्नि ,(तान्‌ प्रदहतु) उन को जला डाले,  जो (न: )  हमें –सत्य पर चलने वालों को -(दुरस्यात्‌) दुरवस्था में फैंकें (च दिप्सात्‌ ) और हमें हानि पहुंचाएं (अथ य: वरातीयात्‌) और जो हम से शत्रुता का व्यवहार करते हैं. 2. यो नो दिप्साददिप्सतो दिप्सतो यश्च दिप्सति  । वैश्वानरस्य दंष्ट्रयोरग्नेरपि दधामि तं  । । AV4.36.2 जो बिना हिंसा किए अहिंसक ढन्ग से  और जो हिंसा से हमें  नष्ट करना चाहते हैं, उन्हें सब जनों के हितकारी बल की दाढ़ों में चबाने के लिए देते हैं . … Continue reading Right path & Falsehood

पापों का मूल मांसभक्षण

पापों का मूल मांसभक्षण लेखक – स्वामी ओमानंदजी सरस्वती  मांसभक्षण से निरपराध प्राणियों का वध होता है जैसे – कराची जैसे नगर के लिये पांच हजार पशु प्रतिदिन मारे जाते हैं, इस प्रकार सारे पाकिस्तान के लिये प्रतिदिन की गणना १ लाख १० हजार पशुओं के मारे जाने की हुई । इस प्रकार १ वर्ष में ४ करोड़ से अधिक पशु मारे जाते हैं । और अण्डे इससे पृथक् हैं । भारतवर्ष की जनसंख्या ५० करोड़ से क्या न्यून होगी । हमारी सरकार के मांसाहार के प्रचार से मांसाहारियों की संख्या बढ़ रही है । २०-२२ वर्ष में १०-१२ करोड़ से अधिक लोग मांसाहारी हो गये होंगे । अगर पाकिस्तान के अनुपात से संख्या लगायें तो ६ वा सात करोड़ … Continue reading पापों का मूल मांसभक्षण

संसार के निरामिषभोजी महापुरुष

संसार के निरामिषभोजी महापुरुष लेखक – स्वामी ओमानंदजी सरस्वती  जगद् गुरु श्री शंकराचार्य (शारदा पीठ, द्वारिका)  यह अत्यन्त दुःख की बात है कि संसार की युवक पीढ़ी और विशेषकर हिन्दू युवक वर्ग पवित्र शाकाहार को छोड़ता जा रहा है और मांसाहार की ओर प्रवृत्त हो रहा है, जो हिन्दुत्व नहीं है । वह मानव का धर्म नहीं है । इसलिये हम सब को सावधान करते हैं और उपदेश देते हैं कि मानवमात्र को विशेष रूप से हिन्दुओं को शपथ लेनी चाहिये, प्रतिज्ञा करनी चाहिये कि हम शुद्ध शाकाहार ही करेंगे और मांस कभी नहीं खायेंगे । इस शपथ को सद्व्यवहार में लाना । श्री जगद् गुरु शंकराचार्य (श्रृंगेरी मठ)  शाकाहार ने केवल शरीर को ही शुद्ध रखता है बल्कि आत्मा … Continue reading संसार के निरामिषभोजी महापुरुष

मांसाहारी वीर नहीं होते

मांसाहारी वीर नहीं होते लेखक – स्वामी ओमानंदजी सरस्वती  न जाने लोग मांस क्यों खाते हैं ! न इसमें स्वाद है और न शक्ति । मांस स्वाभाविक नहीं । मांस में बल नहीं, पुष्टि नहीं । वह स्वास्थ्य का नाशक और रोगों का घर है । मनुष्य मांस को कच्चा और बिना मसाले के खाना पसन्द नहीं करते । पहले-पहल मांस के खाने से उल्टी आ जाती है । डा० लोकेशचन्द्र जी तथा लेखक की रूस की यात्रा में मांस की दुर्गन्ध से कई बार बुरी अवस्था हुई, वमन आते-आते बड़ी कठिनाई से बची । फिर भी लोग इसे खाते हैं । कई लोग तो बड़ी डींग मारते हैं कि मांसाहार बड़ा बल और शक्ति बढ़ाता है । यह भी मिथ्या है … Continue reading मांसाहारी वीर नहीं होते

आर्य मंतव्य (कृण्वन्तो विश्वम आर्यम)