क्या वेदों में वर्णित जर्भरी तुर्फरी का कोई अर्थ नही है ?(चार्वाक मत खंडन )

मित्रो कई नास्तिक वादी और अम्बेडकर वादी वेदों पर चार्वाक दर्शन के आधार पर आरोप लगाते है कि वेदों में जर्भरी तुर्फरी का कोई अर्थ नही है ये युही लिखे गये है | कुछ दलित साहित्य कार जो आर्यों को विदेशी साबित करने पर तुले है वो कहते है कि ये ईराक आदि देशो के नदियों या किसी शहर के नाम थे जहा से आर्य भारत आये | इस तरह की काल्पनिक बातें या कहानिया ये लोग गढ़ लेते है | चार्वाक कहते है :- ” त्रयो वेदस्य कर्तारो भंडधूर्तनिशाचरा:| जर्फरीतुर्फरीत्यादी पंडितानां वच: स्मृतम्||चार्वाक||” भंड ,धूर्त ,निशाचर ये लोग वेदों के कर्ता है |इनके नाना प्रकार के बेमतलब शब्दों जर्भरी तुर्फरी से वेद भरा पड़ा है | यहा चार्वाक और … Continue reading क्या वेदों में वर्णित जर्भरी तुर्फरी का कोई अर्थ नही है ?(चार्वाक मत खंडन )

मैंने इस्लाम क्यों छोड़ा………

    लेखक :डॉ आनंदसुमन सिंह पूर्व डॉ कुंवर रफत अख़लाक़  इस्लामी साम्प्रदाय में मेरी आस्था दृड़ थी | मै बाल्यकाल से ही इस्लामी नियमो का पालन किया करता था | विज्ञानं का विद्यार्थी बनने के पश्चात् अनेक प्रश्नों ने  मुझे इस्लामी नियमो पर चिन्तन करने हेतु बाध्य किया | इस्लामी नियमो में कुरआन या अल्लाहताला या हजरत मुहम्मद पर प्रश्न करना या शंका करना उतना ही अपराध है जितना किसी व्यक्ति के क़त्ल करने पर अपराधी माना जाता है |युवा अवस्था में आने के पश्चात् मेरे मस्तिष्क में सबसे पहला प्रश्न आया की अल्लाहताला रहमान व् रहीम है , न्याय करने वाला है ऐसा मुल्लाजी खुत्बा ( उपदेश ) करते है | फिर क्या कारण है की इस दुनिया … Continue reading मैंने इस्लाम क्यों छोड़ा………

क्या वेदों में यज्ञो में गौ आदि पशु मॉस से आहुति या मॉस को अतिथि को खिलाने का विधान है ??(अम्बेडकर के आक्षेप का उत्तर )..

नमस्ते मित्रो | अम्बेडकर साहब आर्ष ग्रंथो और वैदिक ग्रंथो पर आक्षेप करते हुए अपनी लिखित पुस्तक “THE UNTOUCHABLE WHO WERE THEY WHY BECOME UNTOUCHABLES” में कहते है कि प्राचीन काल (वैदिक काल ) में गौ बलि और गौ मॉस खाया जाता था | इस हेतु अम्बेडकर साहब ने वेद (ऋग्वेद ) और शतपथ आदि ग्रंथो का प्रमाण दिया है | हम उनके वेद पर किये आक्षेपों की ही समीक्षा करेंगे | क्युकि शतपत आदि ग्रंथो को हम मनुष्यकृत मानते है जिनमे मिलावट संभव है लेकिन वेद में नही अत: वेदों पर किये गए आक्षेपों का जवाब देना हमारा कर्तव्य है क्यूंकि मनु महाराज ने कहा है :- ” अर्थधर्मोपदेशञ्च वेदशास्त्राSविरोधिना | यस्तर्केणानुसन्धते स धर्म वेदनेतर:||”-मनु जो ऋषियों का बताया … Continue reading क्या वेदों में यज्ञो में गौ आदि पशु मॉस से आहुति या मॉस को अतिथि को खिलाने का विधान है ??(अम्बेडकर के आक्षेप का उत्तर )..

ईसा मसीह मुक्तिदाता नहीं था

ईसा मसीह मुक्तिदाता नहीं था ……. लेखक :- अनुज आर्य  इसाई लोग बड़े जोर सोर के साथ यह प्रचार किया करते है की इसा मसीह पर विश्वास ले आने से से ही मुक्ति मिल सकती है | अन्य कोई तरीका नहीं मुक्ति व् उद्धार का | स्वतः बाइबल में भी इसी प्रकार की बाते लिखी मिलती है जिनमे इसा मसीह को मुक्ति दाता बताया गया है | इस विषय में निम्न प्रमाण प्रायः उपस्थित किये जाते है | बाइबल में लिखा है कि – ” क्योंकि परमेशवर ने जगत से ऐसा प्रेम रक्खा कि उसे अपना इकलोता पुत्र दे दिया , ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो परन्तु अनंत जीवन पाए (१३) जो उस पर … Continue reading ईसा मसीह मुक्तिदाता नहीं था

वेदो ओर महाभारत मे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया का उल्लेख (photosynthesis explaned in ved and mahabharat)

मित्रो नमस्ते,,, इस बार आप के लिए वेदो ओर महाभारत मे वर्णित प्रकाश संश्लेषण की क्रिया का वर्णन ले कर आया हु। … प्रकाश संश्लेषण- सजीव कोशिकाओं के द्वारा प्रकाशीय उर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने की क्रिया को प्रकाश संश्लेषण (फोटोसिन्थेसिस) कहते है। इस क्रिया मे पादप की पत्तिया सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायु से कार्बनडाइऑक्साइड तथा भूमि सेजल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं तथा आक्सीजन गैस(O2) बाहर निकालते हैं।  …… हमारे धर्म ग्रंथो मे इस क्रिया का उल्लेख है ……. वेदो मे प्रकाश संश्लेषण- वेदो मे प्रकाश संश्लेषण क्रिया का उल्लेख नीचे दिए गए इस चित्र मे देखे-  ॠग्वेद के 10 मं के 97 सुक्त के 5 वे मंत्र मे पत्तियो द्वारा सूर्य के प्रकाश को ग्रहण कर प्रकाश संश्लेषण की क्रिया का स्पष्ट उल्लेख है। महाभारत मे … Continue reading वेदो ओर महाभारत मे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया का उल्लेख (photosynthesis explaned in ved and mahabharat)

यम यमी संवाद पर एक नजर

ऋग्वेद के दशवे मंडल के दशवे सूक्त १०|१० में यम यमी शब्द आये हैं | जिसके मुर्ख मनुष्य अनर्गल व्याख्या करते हैं | उसके अनुसार यम तथा यमी विवस्वान् के पुत्र-पुत्री हैं और वे एकांत में होते हैं, वहा यमी यम से सहवास कि इच्छा प्रकट करती हैं | यमी अनेक तर्क देती किन्तु यम उसके प्रस्ताव को निषेध कर देता | तो यमी कहती मेरे साथ तो तु ना कहे रहा पर किसी अन्य तेरे साथ ऐसे लिपटेगी जैसे वृक्ष से बेल, इत्यादि | इस प्रकार के अर्थ दिखा के वेद निंदक नास्तिक वेद को व आर्यो के प्रति दुष्प्रचार करते हैं | आर्यो का जीवन सदैव मर्यादित रहा हैं, क्यों के वे वेद में वर्णित ईश्वर कि आज्ञा … Continue reading यम यमी संवाद पर एक नजर

शिक्षक की राष्ट्र विकास मे अद्भुत भूमिका……

शिक्षक की राष्ट्र विकास मे अद्भुत भूमिका संसार मे अनेक व्यक्तियों मे से दो व्यक्तियों को उच्च और श्रेष्ठ मानता है क्योंकी किसी भी राष्ट्र की उन्नति और उच्च सभ्यता का मूलाधार ये दो व्यक्ति ही होते है | एक किसान और दूसरा शिक्षक, आचार्य, गुरु आदि | जिसमे कृषि क्षेत्र का आधार तो धरती, हवा, पाणी इत्यादि है | और शिक्षा क्षेत्र का आधार है आचार और विचार | एक सफल शिक्षक वहि माना जाता है जिसे अपने विषय का पूर्ण ज्ञान हो, पढाने की लग्न हो और सभी से प्रेम हो | आज शिक्षण क्षेत्र इतना भ्रष्ठ हो चूका है की योग्य शिक्षक मिलना दुर्लभ हो चूका है |पहले बालको की योग्यता पर शिक्षा दि जाति थी इसका … Continue reading शिक्षक की राष्ट्र विकास मे अद्भुत भूमिका……

ईसाई पैगम्बरों का चरित्र चित्र

लेखक –श्री राम आर्य ईसाई मजहब व बाइबल का पोलखाता अर्थात ईसाई पैगम्बरों के चरित्रो का कच्चा चिट्ठा – सारे संसार में बुद्धिमान लोगो ने मनुष्यों के उत्थान के लिए शुभ आचरण करने पर जोर दिया है |मनुष्य यदि उत्तम विचार रखे,परोपकारी वृति रखे ,दीन ,दुखियो निर्बलो,असहायों पर दया दृष्टि रखे ,प्राणिमात्र को अपने अपने कर्मो से किसी भी प्रकार का कष्ट न पंहुचाये,सबके हित में अपना हित समझे,नेत्रों से उत्तम चीजों को देखे,वाणी से श्रेष्ट बातें करे,कानो से शुभ कथाये वार्ता सुने,मन में सदा शुभ विचार व श्रेष्ट संकल्प धारण करे, निराकार सर्वव्यापक जगतकर्ता प्रभु में प्रीती रखे,उसकी भक्ति में मन को लगाये,सदाचार व संयम का जीवन व्यतीत करे मन,बुद्धि व आत्मा को पतित करने वाले मॉस ,मदिरा आदि … Continue reading ईसाई पैगम्बरों का चरित्र चित्र

आर्य मंतव्य (कृण्वन्तो विश्वम आर्यम)