हदीस : मृतक के लिए रोना

मृतक के लिए रोना

मृतक के लिए रोने को मुहम्मद मना करते थे-”जब उसके परिवार वाले उसके लिए रोते हैं, तो इसकी सजा मृतक को दी जाती है“ (2015)। उन्होंने शव के लिए शीघ्र प्रबन्ध करने की शिक्षा भी दी है-”यदि मृत व्यक्ति भला था, तो तुम उसे अच्छी स्थिति में ही भेज रहे हो। यदि यह बुरा था, तो तुम बुराई से छुट्टी पा रहे हो“ (2059)।

 

फिर भी मुहम्मद अपने वफादार अनुयायियों की मृत्यु पर रोये थे। साद बिन उबादा के मरते वक्त वे रोते हुए बोले-”अल्लाह आंख से आंसू बहने या दिल के दुखी होने पर सजा नहीं देता; बल्कि इसके (अपनी जीभ की तरफ इशारा करते हुए) लिए सजा देता है, यानि जोर-जोर से विलाप करने पर“ (2010)।

author : ram swarup

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