अलङ्कारं नाददीत पित्र्यं कन्या स्वयंवरा । मातृकं भ्रातृदत्तं वा स्तेना स्याद्यदि तं हरेत् ।

जो मनुष्य ’जूआ’ और समाह्वय स्वयं खेले या दूसरों से खिलायें राजा उन सबको और कपटपूर्वक द्विजों के वेश धारण करने वाले शूद्रों को शारीरिक दण्ड (ताड़ना, अंगच्छेदन ) आदि दे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *