उत्कृष्टायाभिरूपाय वराय सदृशाय च । अप्राप्तां अपि तां तस्मै कन्यां दद्याद्यथाविधि

यह तुमको दायभाग का विधान और ’क्षेत्रज’ आदि पुत्रों को धन का भाग देने की विध क्रमशः कही ।

अब (धूतधर्म निबोधत) जूआ-सम्बन्धी विधान सुनो—

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