(यत् अन्वावेयम्) जो अन्वाधेय अर्थात् विवाह के पश्चात् पिता या पति द्वारा दिया गया है, वह धन (च) और (यत् प्रीतेन पत्या दत्तम्) जो प्रीतिपूर्वक पति के द्वारा दिया गया धन है (वृत्तायाः) स्त्री के मरने पर (पत्यौ जीवति) और पति के जीवित रहते भी (तत्धनं प्रजायाः भवेत्) वह धन सन्तानों का ही होता है ।