सब कोई एक बार विभाग का बंटवारा करके (सहजीवन्तः) फिर सम्मिलित होकर यदि फिर अलग होना चाहे तो उस स्थिति में सबको समान भाग प्राप्त होगा तब उसमें ज्येष्ठ भाई का उद्धार भाग नहीं होता
सब कोई एक बार विभाग का बंटवारा करके (सहजीवन्तः) फिर सम्मिलित होकर यदि फिर अलग होना चाहे तो उस स्थिति में सबको समान भाग प्राप्त होगा तब उसमें ज्येष्ठ भाई का उद्धार भाग नहीं होता