Adhyay : 8 Mantra : 417 Back to listings विस्रब्धं ब्राह्मणः शूद्राद्द्रव्योपादानं आचरेत् । न हि तस्यास्ति किं चित्स्वं भर्तृहार्यधनो हि सः । । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related