Adhyay : 8 Mantra : 392 Back to listings प्रतिवेश्यानुवेश्यौ च कल्याणे विंशतिद्विजे । अर्हावभोजयन्विप्रो दण्डं अर्हति माषकम् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related