उपेतारं उपेयं च सर्वोपायांश्च कृत्स्नशः । एतत्त्रयं समाश्रित्य प्रयतेतार्थसिद्धये

. उपेता – प्राप्त करने वाला अर्थात् स्वंय उपेय – प्राप्त करने योग्य अर्थात् शत्रु और सब विजय प्राप्त करने के साम,दाम, आदि उपाय इन तीन बातों को सम्पूर्ण रूप से आश्रय करके अर्थात् विचार करके और अपनी क्षमता देखकर राजा अपने उद्देश्य की सिद्धि के लिए प्रयत्न करे, इन्हें बिना विचारे नहीं ।

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