वनेषु च विहृत्यैवं तृतीयं भागं आयुषः । चतुर्थं आयुषो भागं त्यक्वा सङ्गान्परिव्रजेत्

इस प्रकार जंगलों में आयु का तीसरा भाग अर्थात् अधिक से अधिक पच्चीस वर्ष अथवा न्यून से न्यून बारह वर्ष तक विहार करके आयु के चैथे भाग अर्थात् सत्तर वर्ष के पश्चात् सब मोह आदि संगों को छोड़कर संन्यासी हो जावे ।

(सं० वि० सन्यासाश्रम सं०)

‘‘इस प्रकार वन में आयु का तीसरा भाग अर्थात् पचासवें वर्ष से पचहत्तरवें वर्ष पर्यन्त वानप्रस्थ हो के आयु के चैथे भाग में संगों को छोड़के परिव्राट् अर्थात् सन्यासी हो जावे ।’’

(स० प्र० पंच्चम समु०)

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