वर्षे वर्षेऽश्वमेधेन यो यजेत शतं समाः । मांसानि च न खादेद्यस्तयोः पुण्यफलं समम्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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