शोणितं यावतः पांसून्संगृह्णाति महीतलात् । तावतोऽब्दानमुत्रान्यैः शोणितोत्पादकोऽद्यते

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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