संप्राप्ताय त्वतिथये प्रदद्यादासनोदके । अन्नं चैव यथाशक्ति सत्कृत्य विधिपूर्वकम् । ।

 

अतिथियज्ञ का विधान

और आये हुए अतिथि के लिए व्यवहार की उचित विधि के अनुसार सत्कार करके शक्तिके अनुसार आसन और जल तथा अन्न भी प्रदान करे ।

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