जैसे प्रथम की चार रात्रि ऋतुदान देने में निन्दित हैं वैसे ग्यारहवीं और तेरहवीं रात्रि भी निन्दित है और बाकी रही दस रात्री , सो ऋतुदान में श्रेष्ठ हैं ।
(सं० वि० गर्भाधान सं०)
जैसे प्रथम की चार रात्रि ऋतुदान देने में निन्दित हैं वैसे ग्यारहवीं और तेरहवीं रात्रि भी निन्दित है और बाकी रही दस रात्री , सो ऋतुदान में श्रेष्ठ हैं ।
(सं० वि० गर्भाधान सं०)