कन्या और वर को, यज्ञशाला में विधिकरके सब के सामने ‘तुम दोनों मिल के गृहाश्रम के कर्मों को यथावत् करो’ ऐसा कहकर दोनों की प्रसन्नता पूर्वक पाणिग्रहण होना वह ‘प्राजापत्य विवाह’ कहाता है ।
(सं० वि० विवाह सं०)
कन्या और वर को, यज्ञशाला में विधिकरके सब के सामने ‘तुम दोनों मिल के गृहाश्रम के कर्मों को यथावत् करो’ ऐसा कहकर दोनों की प्रसन्नता पूर्वक पाणिग्रहण होना वह ‘प्राजापत्य विवाह’ कहाता है ।
(सं० वि० विवाह सं०)