Adhyay : 3 Mantra : 258 Back to listings विसृज्य ब्राह्मणांस्तांस्तु नियतो वाग्यतः शुचिः । दक्षिणां दिशं आकाङ्क्षन्याचेतेमान्वरान्पितॄन् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related