सम्मान के आधार
वित्तं बन्धुः वयः कर्म एक – धन, दूसरे – बधुं, कुटुम्ब, कुल; तीसरी – आयु, चैथा – उत्तम कर्म पंच्चमी विद्या भवति और पांचवी – श्रेष्ठविद्या एतानि मान्यस्थानानि ये पांच मान्य के स्थान हैं, परन्तु यद् यद् उत्तरं तद् तद् गरीयः जो – जो परला है वह अतिशयता से उत्तम है धन से उत्तम बंधु, बंधु से अधिक आयु, आयु से श्रेष्ठ कर्म और कर्म से पवित्र विद्या वाले उत्तरोत्तर अधिक माननीय हैं ।
(स० प्र० दशम समु०)