जब आत्मा में ज्ञान हो तब सत्व, जब अज्ञान रहे तब तम, और जब राग-द्वेष में आत्मा लगे तब रजोगुण जानना चाहिए ये तीन प्रकृति के गुण सब संसारस्थ पदार्थों में व्याप्त हैं ।(स. प्र. नवम समु.)
जब आत्मा में ज्ञान हो तब सत्व, जब अज्ञान रहे तब तम, और जब राग-द्वेष में आत्मा लगे तब रजोगुण जानना चाहिए ये तीन प्रकृति के गुण सब संसारस्थ पदार्थों में व्याप्त हैं ।(स. प्र. नवम समु.)