Adhyay : 12 Mantra : 25 Back to listings यो यदैषां गुणो देहे साकल्येनातिरिच्यते । स तदा तद्गुणप्रायं तं करोति शरीरिणम् Leave a comment जो गुण इन जीवों के देह में अधिकता से वर्तता है वह गुण उस जीव को अपने सदृश कर लेता है । (स. प्र. नवम समु.) Related