सत्त्वं रजस्तमश्चैव त्रीन्विद्यादात्मनो गुणान् । यैर्व्याप्येमान्स्थितो भावान्महान्सर्वानशेषतः ।

सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण इन तीनों को आत्मा को प्रभावित करनेवाले, प्रकृति के गुण समझे, (महान्) महततत्वृ=अव्यक्त प्रकृति (1/15) इन तीन गुणों से बिना किसी पदार्थ को छोड़े इन समस्त पदार्थों को व्याप्त करके स्थित है ।

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