सुरां पीत्वा द्विजो मोहादग्निवर्णां सुरां पिबेत् । तया स काये निर्दग्धे मुच्यते किल्बिषात्ततः ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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