Adhyay : 11 Mantra : 4 Back to listings सर्वरत्नानि राजा तु यथार्हं प्रतिपादयेत् । ब्राह्मणान्वेदविदुषो यज्ञार्थं चैव दक्षिणाम् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related