षण्णां तु कर्मणां अस्य त्रीणि कर्माणि जीविका । याजनाध्यापने चैव विशुद्धाच्च प्रतिग्रहः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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