आद्याद्यस्य गुणं त्वेषां अवाप्नोति परः परः । यो यो यावतिथश्चैषां स स तावद्गुणः स्मृतः ।

(एषाम्) इन (२० वें में चर्चित) पंच्चमहाभूतों से (आद्य – आद्यस्य गुणं तु) पूर्व – पूर्व के भूतों के गुण को (परः परः) परला – परला अर्थात् उत्तरोत्तर बाद में आने वाला भूत प्राप्त करता है (च) और (यः यः) जो – जो भूत (यावतिथः) जिस संख्या पर स्थित है (सः सः) वह – वह (तावद्गुणः) उतने ही अधिक गुणों से युक्त (स्मृतः) माना गया है ।

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