क्यों कि मानवः जो मनुष्य श्रुति – स्मृति – उदितम् वेदोक्त धर्म और जो वेद से अविरूद्ध स्मृत्युक्त धर्मम् अनुतिष्ठन् धर्म का अनुष्ठान करता है, वह इह कीत्र्ति च प्रेत्य अनुत्तमं सुखम् इस लोक में कीत्र्ति और मरके सर्वोत्तम सुख को अवाप्नोति प्राप्त होता है ।
(स० प्र० दशम समु०)