कौन-से गुलाम मुक्ति के पात्र हैं ?
सिर्फ़ मोमिन गुलाम ही आजादी का पात्र है। किसी ने एक बार अपनी गुलाम बांदी को थप्पड़ जमा दिया और तब पछतावे की भावना से उसे आज़ाद करना चाहा। मुहम्मद से सलाह ली गयी। वे बोले-”उसे मेरे पास लाओ।“ वह लायी गयी। मुहम्मद ने उससे पूछा-”अल्लाह कहां है ?“ वह बोली-”वह जन्नत में है।“ मुहम्मद ने पूछा-मैं कौन हूं ?“ उसने जवाब दिया-”आप अल्लाह के पैगम्बर हैं।“ मुहम्मद ने यह फैसला सुनाया-”उसे आजाद कर दो। वह मोमिन औरत है“ (1094)।
इस प्रकार एक गुलाम को आजाद करने से पुण्य प्राप्त होता है। ”उस मुसलमान को जो एक मुसलमान (गुलाम) को मुक्त करता है, अल्लाह दोज़ख की आग से बचायेगा। गुलाम के हर अंग के एवज में मुक्त करने वाले का वही अंग आग से बचाया जायेगा। यहां तक कि उनके गुप्तांगों के बदले में मुक्ति दाता के गुप्तांग बचाये जायेंगे“ (3604)।
अपने साझे गुलाम को भी व्यक्ति अपने हिस्से की हद तक मुक्त कर सकता है। बाकी के लिए उस गुलाम के दाम तय किए जा सकते हैं। और गुलाम से ”अपनी आजादी के लिए काम करने को कहा जायेगा। लेकिन उसके ऊपर बहुत ज्यादा बोझा नहीं डालना चाहिए“ (3582)।
author : ram swarup