अंगिरा ऋषि के विषय में मत्स्य पुराण, भागवत, वायु पुराण महाभारत और भारतवर्षीय प्राचीन ऐतिहासिक कोष में वर्णन किया गया है।
मत्स्य पुराण में अंगिरा ऋषि की उत्पत्ति अग्नि से कही गई है।
भागवत का कथन है कि अंगिरा जी ब्रह्मा के मुख से यज्ञ हेतु उत्पन्न हुए।
महाभारत अनु पर्व अध्याय 83 में कहा गया है कि अग्नि से महा यशस्वी अंगिरा भृगु आदि प्रजापति ब्रह्मदेव है।
भार्गववंश की मान्यतानुसार महर्षि भृगु का जन्म प्रचेता ब्रह्मा की पत्नी वीरणी के गर्भ से हुआ था। अपनी माता से सहोदर ये दो भाई थे। इनके बडे भाई का नाम
अंगिरा था।
ब्रह्मपुराण अध्याय – ३४ मे ऋषि अंगिरा को विषमबुद्धि से पढ़ाने वाला गुरु अर्थात शिष्यो मे भेदभाव कर पढ़ाने वाला बताया है
इसके अतिरिक्त अंगिरा ऋषि को शिवपुराण मे लोभी लालची आदि बताया है
आप सोच रहे होगे मै ये सब क्यो बता रहा हूं ?
इसलिए बता रहा हूं कि आर्यो के ऋषि सिद्धांतो को बदलने की गहरी साजिश चल रही है वेदो मे इतिहास सिद्ध करने का षडयंत्र रचा जा रहा है यकीन नही ?
फरहाना ताज जी जैसी विदुषि लेखिका का पोस्ट पढ़े वो ये साबित करने की फिराक मे नजर आती है कि कैलाश के राजा शंकर और हृदय मे वेद ज्ञान प्रकाश पाने वाले ऋषियो मे एक ऋषि अंगिरा एक ही है
इनकी लेखनी यही नही रुकी इसके आगे इन्होने और लिखते हुए जोर डाला कि शिव की पूजा करनी है मतलब सच्चे शिव की तो अंगिरा ऋषि को पूजो यही नही हमारी बहन फरहाना ताज जी लिखती है :
“अरे भोले लोगो देवो के देव आदि महादेव की ही पूजा करनी है तो अंगिरा की पूजा करो, शिवपुराण में भी शिव का आदि नाम अंगिरा ही है और अंगिरा के मुख से परमात्मा की वाणी अथर्ववेद प्रकट हुआ, इसलिए वेद पढ़ो।”
मतलब समझ आया ?
हम देवो के देव महादेव यानी ईश्वर की बात करते है क्योकि महादेव ईश्वर को ही संबोधन है हम उन्ही की उपासना करते है मगर हमारी बहन शायद हमारे सिद्धांतो पर चोट करके उन्हे बदल कर हमे ईश्वर के स्थान पर मनुष्य की पूजा करवाना सिखाना चाह रही है लेकिन भूल गई हिन्दू समाज मे भी मुर्दापूजा निकृष्ट है आप उन्हे सच्चाई बताने की जगह एक मुर्दापूजा से निकाल दूसरी मुर्दापूजा मे दाखिला दिलवा रही हो जैसे आर्य समाज मे अंगिरा ऋषि को शिव घोषित कर वेदो मे इतिहास साबित करना चाहती हो
ऋषि अंगिरा और शिव को एक बताने से पहले शिवपुराण पर ही सही से दृष्टि डाल ली होती है, क्योंकि शिवपुराण में ही शिव की शादी के चक्कर में अंगिरा ऋषि को लालची और लोभी बताया है,
क्या आप लोभी और लालची व्यक्ति को शिव या अंगिरा मान सकती हो ? ऊपर और भी प्रमाण दिए हैं की पुराणो में ऋषि अंगिरा का चरित्र कैसा दिखाया है – यदि आपने पुराण ही मानने हैं तो कृपया ऋषि सिद्धांतो पर चलने वाली स्वयं की उद्घोषणा न करे क्योंकि ऋषि ने महापुरषो के चरित्र पर दाग लगाने वाले पुराणो को त्याज्य बताया है और यहाँ ऋषि अंगिरा के चरित्र पर भी पुराण आक्षेप लगा रहे हैं, बेहतर है आप अपने लेख को ठीक करे।
मेरी बहन आर्य समाज सिद्धांत पर आधारित है कृपया अप्रमाणिक तथ्यहीन और मनगढंत बात लिखने से पूर्व एक बार ऋषि के सिद्धांत और उनके महान कर्मो पर दृष्टि जरूर डाले
हो सके तो सत्य को स्वीकार कर असत्य को त्याग दे
नमस्ते
सादर नमन्
जिस तरह से यह लेख आपने प्रकट किया है वैसा हमने नहीं लिखा, शिव पर जब हमने पहला लेख लिखा तो पौराणिकों का कितना विरोध हुआ था हम ही जानते हैं, वह अभी भी फेसबुक पर है, आप गलत ढंग से प्रस्तुत कर रहे हैं, हम किसी मानव पूजा के पक्ष में नहीं….
कल या परसों हम दोबार फेसबुक पर इसका उत्तर देंगे, एक प्रश्न का उत्तर दे दिया गया आप देख सकते हैं, लेकिन इसे यहां से हटाएं क्योंकि यहां हमें फोटो स्कैन करके पेस्ट करना नहीं आता…
भाईजान! फरहाना ताज एवं उनके पति का फोन नंबर एवं घर का पता देने का कष्ट करें….15 अगस्त से पहले….
““अरे भोले लोगो देवो के देव आदि महादेव की ही पूजा करनी है तो अंगिरा की पूजा करो, शिवपुराण में भी शिव का आदि नाम अंगिरा ही है और अंगिरा के मुख से परमात्मा की वाणी अथर्ववेद प्रकट हुआ, इसलिए वेद पढ़ो।””
बहन जी यदि आप मानव पूजा के पक्ष में नहीं तो सीधा सीधा लिखिए की वेद वर्णित एक सच्चिदानंद निराकार सर्वव्यापक ईश्वर की उपासना करे, मनुष्य की पूजा उसके गुणों को अपनाना होता है, व्यर्थ धुप दीप अगरबत्ती से पूजा करना भांड कर्मो के सामान है।
आप तो उल्टा एक मनुष्य रुपी शिव से अंगिरा की पूजा करवाने का खुला आवाहन कर वेदो पर ही आक्षेप कर रही हैं।
कृपया विचार करे।
गलत तथ्य और विचार बिना प्रमाण अपने लेख में रखोगे तो विरोध होगा ही, अभी भी आपका विरोध नहीं हो रहा आपके अवैदिक लेखो का विरोध हो रहा है, मगर उसमे भी आप हम पर झूठे आरोप लगा रही हो की हम दुष्प्रचार कर रहे हैं, गाली गलौच की, ये व्यर्थ के झूठे आरोप लगाने से अच्छा है आप अपनी लिखी अवैदिक बातो को प्रमाणित करे अथवा इन्हे डिलीट करके हम पर उपकार करे।
हम अपने सभी शब्द वापस लेते हैं अपनी और मधु की ओर से भी कृपया हमें क्षमा करें….
आप समाज के हित में अच्छा काम कर रहे हैं करते रहिए…सत्य और वेद प्रचार रुकना नहीं चाहिए…हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
दूध का दूध और पानी का पानी हमेशा होते रहना चाहिए, तभी समाज व धर्म की उन्नति संभव है।