गुस्ल
नमाज के वास्ते, जिन कामों के बाद पूरा शरीर धोना चाहिए ताकि अशुद्धि से मुक्ति हो सके, वे इस प्रकार हैं-मासिक धर्म, प्रसव-कर्म, मैथुन तथा स्वप्नदोष। यह आचार कुरान की इस आयत के मुताबिक है-”यदि तुम प्रदूषित हो, तो स्वयं को शुद्ध करो“ (5/6)।
इस प्रसंग में स्वयं मुहम्मद के आचार के बारे में दो दर्जन से ज्यादा अदीस हैं। आयशा कहती हैं-”जब अल्लाह के पैगम्बर मैथुन करके नहाते हैं, तब पहले अपने हाथ धोते हैं, फिर दाहिने हाथ से बाएं हाथ पर पानी डालते हैं और अपने गुप्तांग धोते हैं…..“ (616)।
मुहम्मद का अभ्यास यह था कि मैथुन के उपरांत ”कई बार वे नहाते थे, तब सोते थे और कई बार वुजू कर लेते थे।“ स्नान रात को न कर सुबह की नमाज के पहले करते थे। जब आयशा ने हदीसकार को यह बात बताई, तब उसने श्रद्धा से भर कर कहा-”स्तुत्य हे अल्लाह, जिसने काम आसान कर दिए“-ईमानवालों की खातिर (603)।
ऐसे ही निर्देश औरतों के वास्ते हैं। उम्म सुलैम नाम की एक औरत मुहम्मद के पास गई और पूछा-”यदि औरत यौन-क्रिया वाला स्वप्न देखे, तो क्या उसके लिए भी नहाना जरूरी है ?“ मुहम्मद ने जवाब दिया-”हां, जब वह स्राव (योनि से बहने वाला पानी) देखे, तब।“ जब मुहम्मद की बीवियों ने सुना कि उम्म सुलैम ने मुहम्मद से एक सवाल पूछा है, जिसमें स्त्री द्वारा भी यौनक्रिया वाले सपने देखे जाने का संकेत है, तब उन्हें बहुत बुरा लगा। वे उससे बोलीं-”तुमने औरतों को नीचा दिखाया है“ (610, 611)।
author : ram swarup