हदीस : गम्भीरता पक्ष

गम्भीरता पक्ष

हदीस-संग्रह के लिए वह असाधारण बात भले ही हो, फिर भी कुछ अहादीसों (2197-2204) में दान का गम्भीरता पक्ष भी उल्लिखित है। जो लोग धन नहीं दे सकते, वे निष्ठा और नेक कामों पर दान दिया करें। ”दो आदमियों के बीच न्यायनिर्णय देना भी एक सदक़ा है। और किसी आदमी को उसकी सवारी पर चढ़ने में मदद देना अथवा सवारी पर बोझ लादने में किसी की मदद करना एक सदका है। और अच्छी बात कहना एक सद़का है। और प्रार्थना की तरफ उठाया गया हर कदम एक सद़का है। और रास्ते से हानिकर चीजें हटा देना एक सदका है“ (2204)।

 

ऐसी ही सुन्दर एवं समझबूझ से भरी कुछ अन्य हदीस भी हैं। ईश्वर जिनकी रक्षा करता है, उनमें से एक वह है, ”जो दान देता है और उसे गुप्त रखता है, जिससे कि दायां हाथ जान नहीं पाये कि बांये हाथ ने क्या दिया है“ (2248)। इसी क्रम में मुहम्मद हमें बतलाते हैं कि ”यदि कोई एक खजूर के बराबर सदका देता है ….. तो अल्लाह उसे अपने दाहिने हाथ से मंजूर करेगा।“ (2211)।

 

और एक अन्य हदीस में कहा है-”अल्लाह की स्तुति1 के प्रत्येक उद्घोष में (अर्थात् सुभान अल्लाह कहने में), एक सद़का है……और पुरुष के यौन समागम में (अपनी पत्नी के साथ, ऐसा अनुवादक ने पूरा किया है) एक सदका है“ (2198)।

author : ram swarup

 

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