दैवी विधान
ज़कात न अदा करने पर दिया जाने वाला दैवी दंड किसी भी मानवीय सत्ता द्वारा दिए जाने वाले लौकिक दंड से अधिक उत्पीड़क है। “यदि सोना या चांदी रखने वाला कोई व्यक्ति अपने द्वारा देय अंश का भुगतान नहीं करता, तो कयामत के रोज़ उसके लिए आग की पट्टियां तैयार की जायेंगी, फिर वे नरक की आग में गरम की जायेंगी और उसकी बाहें, उसका माथा और उसकी पीठ उनसे दागी जायेंगी। और जब वे ठंडी हो जायेंगी तो वही सिलसिला दिन भर दोहराया जायेगा। दण्ड की अवधि पचास हजार बरस की होगी।“ और ऊंटों के उस मालिक के लिए जो अपना कर नहीं देता, “एक इतना बड़ा रेतिला मैदान बनाया जायेगा, जितना कि सम्भव हो“ और उसके ऊंट ”उसे अपने खुरों से खूंदेंगे और मुंह से काटेंगे-पूरे दिन, जो पचास हजार बरस का होगा।“ वही हस्र गायों और भेड़ों के उन मालिकों का होगा, जो कर नहीं देते। ”वे उन्हें अपने सींगों से मारेंगी और खुरों से खूंदेंगी“-उतनी ही अवधि तक (2161)।
author : ram swarup