चोरी, व्यभिचार, जन्नत
कई-एक अहादीस में कुछ ऐसी सामग्री शामिल हैं, जो वहां चर्चित शीर्षकों के अनुसार सुसंगत नहीं। मसलन, 2174 एवं 2175 अहादीस के बारे में यह सच है। ये दोनों जकात से सम्बद्ध हैं। पर दोनों में ऐसी बातें भी हैं, जिनका दान से कोई संबंध नहीं है। हां, वे अपने ढंग से मोमिनों को आश्वस्त करने वाली अवश्य हैं। उदाहरणार्थ, अबू जर्र बतलाते हैं कि जब एक बार वे और मुहम्मद साथ-साथ चल रहे थे तो मुहम्मद उन्हें छोड़कर कहीं अन्यत्र चल दिये और कह गये कि मेरे लौटने तक वहीं रुकना। थोड़ी देर में मुहम्म्द आंख से ओझल हो गए। पर अबू जर्र कुछ आवाजें सुनते रहे। उन्हें पैगम्बर के साथ किसी अनर्थ के घटने की आशंका हुई, पर तब भी उनका हुक्म याद कर वे अपनी जगह पर जमे रहे। जब मुहम्मद लौटे, तो अबू जर्र ने उन आवाज़ों की वजह जाननी चाही। मुहम्मद ने उत्तर दिया-”वह जिब्रैल था, जो मेरे पास आया और बोला-जो तुम्हारी मिल्लत में रहते हुए अल्लाह के साथ किसी और को जोड़े बगैर मर जाता है, वह जन्नत में जायेगा। मैने कहा-क्या तब भी, जबकि उसने चोरी की हो या व्यभिचार किया हो ? उसने कहा-हां, तब भी, जबकि उसने व्यभिचार किया हो या चोरी की हो“ (2174)।
author : ram swarup