Healthy Long life by proper conduct-
Refrain line is “व्यहं सर्वेण पाप्मना वि यक्ष्मेण सं आयुषा” by avoiding wrongful conduct I vow to attain long life !
पापनाशनम्
Healthy Mind
- वि देवा जरसावृतन्वि त्वं अग्ने अरात्या ।
व्यहं सर्वेण पाप्मना वि यक्ष्मेण सं आयुषा । ।AV3.31.1
देवता –मनुष्य में दैवीय गुण बुढ़ापे से दूर रखते हैं, जैसे अग्नि कंजूसी से दूर रहती है ( अग्नि का गुण है कि सब को मुक्त हृदय से बिना कंजूसी के अपना सब कुछ सब को बांट देती है ) , इस प्रकार मैं समस्त पापों से दूर रह कर क्षय करने वाले रोगों से दूर रह कर दीर्घायु बनूं.
Divine virtues keep the old age away. Take lesson from Homa fire, that without being selfishly miser generously shares with everyone all the ablutions made in to it, and be open hearted, forgiving and generous to all in life and lead a clean pure life. Thus by avoiding wrongful conduct attain long life
Healthy Body
- व्यार्त्या पवमानो वि शक्रः पापकृत्यया ।
व्यहं सर्वेण पाप्मना वि यक्ष्मेण सं आयुषा । AV3.31.2
अपने जीवन में पवित्र आचरण द्वारा पुरुष, रोगादि पीड़ाओं से पृथक रह कर शक्तिशाली बना रहता है. इस प्रकार मैं समस्त पापों से दूर रह कर क्षय करने वाले रोगों से दूर रह कर दीर्घायु बनूं.
By observing physical cleanliness, observing clean habits , living in clean environments and living on pure clean food keeps the body free of disease and maladies. Thus by avoiding wrongful conduct attains long life.
Avoid wrong situations
- वि ग्राम्याः पशव आरण्यैर्व्यापस्तृष्णयासरन् ।
व्यहं सर्वेण पाप्मना वि यक्ष्मेण सं आयुषा । । AV3.31.3
ग्राम्यपशु गौ घोड़ा हिंसक पशुओं व्याघ्र आदि से दूर रहते हैं , जल प्यास से दूर रहते हैं इस प्रकार मैं समस्त पापों से दूर रह कर क्षय करने वाले रोगों से दूर रह कर दीर्घायु बनूं.
Domestic animals cows, dogs, horses stay away from carnivore. Thirst stays away from water. Thus by avoiding wrongful conduct attain long life
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Straight thinking
- वी मे द्यावापृथिवी इतो वि पन्थानो दिशंदिशं ।
व्यहं सर्वेण पाप्मना वि यक्ष्मेण सं आयुषा । । AV3.31.4
ये द्यौ: और पृथ्वी एक दूसरे से दूर रह कर ही चलते हैं, भिन्न भिन्न दिशाओं के मार्ग भी पृथक रहते हैं. इस प्रकार मैं समस्त पापों से पृथक रह कर क्षय करने वाले रोगों से दूर रह कर दीर्घायु बनूं.
Sunshine and Earth have separate paths, but still move together, different roads can lead to same destination. Learn to keep your mind on the objectives and do not get confused by different alternative paths. Thus by avoiding wrongful conduct attain long life
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Equanimity keep mental balance स्वरविज्ञान
- त्वष्टा दुहित्रे वहतुं युनक्तीतीदं विश्वं भुवनं वि याति ।
व्यहं सर्वेण पाप्मना वि यक्ष्मेण सं आयुषा । । AV3.31.5
त्वष्टा –सूर्य,अपनी पुत्री किरणों को दहेज की भांति उपहार के साथ भेज कर इस एक रथ में जोड़ता है, किरणों के लिए सब मार्ग से हट जाते हैं. और चन्द्रमा का गृह स्थापित हो जाता है, जिस से समस्त मानसिक व्यवस्था सम्पन्न होती है. – इस विषय को और स्पष्ट करते हुए यजुर्वेद18-40 “सुषुम्ण: सूर्य्यरश्मिश्चन्द्रमा गन्धर्वस्तस्य नक्ष्त्राण्यप्सरसो भेकुरयो नाम” – गंधर्वों –Cultured सुशिक्षित जनों में योग साधना से , दोनों नासिकाओं से पृथक पृथक श्वास द्वारा सूर्य नाड़ी और चंद्रनाड़ी सुषुम्णा बन कर सदा गति शील बन कर मस्तिष्क और भौतिक शरीर की अध्यक्षता करती हैं इस प्रकार मैं भी समस्त पापों से दूर रह कर क्षय करने वाले रोगों से दूर रह कर दीर्घायु बनूं.
( सूर्य की दुहिता रूपि रश्मियों के चन्द्रमा के गृह जाने को सूर्य की दुहिता से चन्द्रमा के विवाह की उपाधि दी जाती है. )
Exercise control on the left and right hemispheres of your brain to maintain the balance between emotions and pragmatism. Thus by avoiding wrongful conduct attain long life
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Emotional intelligence
6.अग्निः प्राणान्त्सं दधाति चन्द्रः प्राणेन संहितः ।
व्यहं सर्वेण पाप्मना वि यक्ष्मेण सं आयुषा । । AV3.31.6
अग्नि जाठराग्नि के रूप में अन्न के रसों द्वारा प्राणों नेत्र आदि इन्द्रियों का शरीर में परस्पर तालमेल बैठाती है. चंद्रमा सोम के द्वारा प्राण के आधार भूत उत्तम मन के साथ मिल कर जीवन को पुष्ट करता है. इस ज्ञान के आधार पर मैं समस्त पापों से दूर रह कर क्षय करने वाले रोगों से दूर रह कर दीर्घायु बनूं.
(जीव कर्म करने में स्वतंत्र एक hardware जैसा है, इस का संचालन करने वाला सोम इस Hardware को चलाने वाला Software है. तैतरीय के अनुसार “सोमो राजा राजपति:”, “सोमो विश्ववनि” . सोम ही विश्व का प्रजनन करने वाला है. )
Emotional intelligence exercises control not only the mental state for controlling behavior but also proper coordination between all the physical organs by digestion of proper food and its transmission to different parts of human body. Thus by avoiding wrongful conduct attain long life
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ब्रह्मचर्य – Brahmacharya
- प्राणेन विश्वतोवीर्यं देवाः सूर्यं सं ऐरयन् ।
व्यहं सर्वेण पाप्मना वि यक्ष्मेण सं आयुषा । । AV3.31.7
वीर्य द्वारा विश्व के लिए प्राण दे कर सब देवताओं को सम्यक प्रस्तुत किया जाता है . इस प्रकार मैं समस्त पापों से दूर रह कर (वीर्य की रक्षा कर के) क्षय करने वाले रोगों से दूर रह कर दीर्घायु बनूं.
(इस संदर्भ मे यहां ऋग्वेद 8.100.1 “ अयं त एमि तन्वा पुरस्ताद्विश्वे देवा अभि मा यन्ति पश्चात| यदा मह्यं दीधिरो भागमिन्द्राssदिन्मया कृणवो वीर्याणि||” में वीर्य द्वारा गर्भादान के साथ ही सब देवताइस शरीर में चले आते हैं )
All faculties that exercise control over physical faculties enter the ova through sperms in the fetus. By exercising control on protecting your sperms, one maintains all body faculties till long life. Thus by avoiding wrongful conduct attain long life
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यहां प्रसिद्ध मंत्र “ तच्चक्षुर्देवहितं शुक्रमुच्चरत | पश्येमशरद: शतम् || RV 7.66.16 भी प्रासंगिक है . – शुक्र को ऊपर की ओर ले जा कर – ऊर्ध्वरेता बन कर चक्षुओं को स्वस्थ बना कर सौ वर्ष तक देखो.
Longevity is inherited दीर्घायु माता पिता से आती है.
8.आयुष्मतां आयुष्कृतां प्राणेन जीव मा मृथाः ।
व्यहं सर्वेण पाप्मना वि यक्ष्मेण सं आयुषा । । AV3.31.8
स्वयं दीर्घायु वाले और दीर्घायु प्रदान करने वाले (माता पिता जैसे देवताओं के) दीर्घायु प्राणों का सामर्थ्य मैं व्यर्थ न जाने दूं. इस प्रकार मैं समस्त पापों से दूर रह कर क्षय करने वाले रोगों से दूर रह कर दीर्घायु बनूं.( इस मन्त्र में में दीर्घायु का पारिवारिक देवताओं माता पिता का के स्वयं दीर्घायु होने से सम्बंध बताया है , जिसे आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि दीर्घायु वंश गत inherited trait होती है.)
Long life is an inherited trait. Thus by avoiding wrongful conduct attain long life
Lead a zestful life पुरुषार्थी जीवन
9. प्राणेन प्राणतां प्राणेहैव भव मा मृथाः ।
व्यहं सर्वेण पाप्मना वि यक्ष्मेण सं आयुषा । । AV3.31.9
सदैव जीवित उत्साही कर्मठ मन्यु से प्रेरित जनों के जीवन से ही प्ररणा ले कर जी. प्रकार समस्त पापों से दूर रह कर क्षय करने वाले रोगों से दूर रह कर दीर्घायु बनूं.
Adopt role models as people that lead an active zestful life. Thus by avoiding wrongful conduct attain long life
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Vitamin D सूर्य नमस्कार
10. उदायुषा सं आयुषोदोषधीनां रसेन ।
व्यहं सर्वेण पाप्मना वि यक्ष्मेण सं आयुषा । AV3.31.10
उदय होते हुए सूर्य उषा के ओषधि रूप रसों को प्राप्त करके ही मैं दीर्घायु को प्राप्त करुं. इस प्रकार मैं समस्त ( प्रात; कालीन सूर्य के दर्शन न कर पाने की आलस्य वृत्ति से दूर रह कर क्षय करने वाले रोगों से दूर रह कर दीर्घायु बनूं
(इस विषय पर वेदों से अत्यंत आधुनिक विज्ञान इस प्रकार से मिलता है .
प्राता रत्नं प्रातरित्वा दधाति तं चिकित्वान् प्रतिगृह्या नि धत्ते ।
तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचते सुवीरः ।। ऋ 1-125-1
प्रातःकाल का सूर्य उदय हो कर बहुमूल्य रत्न प्रदान करता है। बुद्धिमान उन रत्नों के महत्व को जान कर उन्हें अपने में धारण करते हैं।तब उस से मनुष्यों की आयु और संतान वृद्धि के साथ सम्पन्नता और पौरुष बढ़ता है।
यही विषय ऋग्वेद के निम्न मंत्र में भी मिलता है.
कृष्णायद्गोष्वरुणीषु सीदद् दिवो नपाताश्विना हुवे वाम |
वीथं मे यज्ञमा गतं मे अन्नं ववन्वासा नेष्मस्मृतध्रू ||
ऋ 10.61.4 (सायण भाष्य )
जब लाल किरणों में काला तम होता है उस समय हे द्यौ के (प्रकाशमान आकाश ) के पुत्रो मैं आप को बुलाता हूं. आप आ कर मेरे अन्नमयकोश को मेरे लिए (अस्मृतध्रू) किसी प्रकार का द्रोह रोगादि हिंसा रहित कीजिए || यह दोनो देवता उस समय के सब को नये जीवन देने वाले प्रकाश के वाची हैं इसी लिए देवभिषक कहलाते हैं. ||
(वैज्ञानिकों के अनुसार केवल UVB-Ultra Violet B – किरणें , जो पृथ्वी पर तिरछी पड़ती हैं, वे ही संधि वेला प्रातः सायं की सूर्य की किरणें विटामिन डी उत्पन्न करके हमारे अन्न के पोषन द्वारा हमें सर्व रोग रहित बनाती हैं।)
According to modern science Solar radiations have the following details of spectrum. Ultra violet and visible portion
of radiations are of great significance.
Name
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Abbreviation
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Wavelength range
(in nanometres)
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Energy per photon
(in electronvolts)
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Notes / alternative names
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Visible
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VIS
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760 – 380 nm
|
1.63 – 3.26 eV
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Ultraviolet
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UV
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400 – 100 nm
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3.10 – 12.4 eV
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Ultraviolet A
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UVA
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400 – 315 nm
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3.10 – 3.94 eV
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long wave, black light
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Ultraviolet B
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UVB
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315 – 280 nm
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3.94 – 4.43 eV
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medium wave
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Ultraviolet C
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UVC
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280 – 100 nm
|
4.43 – 12.4 eV
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short wave, germicidal
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Ultraviolet
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NUV
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400 – 300 nm
|
3.10 – 4.13 eV
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visible to birds, insects and fishes
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Middle Ultraviolet
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MUV
|
300 – 200 nm
|
4.13 – 6.20 eV
|
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Far Ultraviolet
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FUV
|
200 – 122 nm
|
6.20 – 10.16 eV
|
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Hydrogen Lyman-alpha
|
H Lyman-α
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122 – 121 nm
|
10.16– 10.25 eV
|
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Extreme Ultraviolet
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EUV
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121 – 10 nm
|
10.25 – 124 eV
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Vacuum Ultraviolet
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VUV
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200 – 10 nm
|
6.20 – 124 eV
|
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X-rays
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10 – 0.001 nm
|
124 eV – 1.24 MeV
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Soft X-rays
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XUV
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10 – 0.1 nm
|
124 eV – 12.4 keV
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X-ray Ultraviolet
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Hard X-rays
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0.1 – 0.001 nm
|
12.4 keV – 1.24 MeV
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UVB (Ultraviolet B) rays have 280 to 315 nm ( (nano meters) wave length And are most prominent in the rising Sun rays ( Morning time) The UVB is able to penetrate the Ozone layer in the stratosphere as shown below.
These UVB rays are able to enter only the ‘Epidermis’ outer skin layers of human body as shown below. And create a hormone that is called by the name Vitamin D.
This is the most important contribution of Sun to direct human health. Cows, sheep etc that have fur on their skin also generate Vitamin D in their Milk and flesh.
(Incidentally Buffaloes do not have a fur coat and being black are uncomfortable in direct sun light. Thus buffaloes’ milk is very deficient in Vitamin D. That is one reason as to how buffalo milk does not find mention in Vedas.)
उदु त्यं जातवेदसं देवं वहन्ति केतव: ! दृषे विश्वाय सूर्यम् !! ऋ 1/50/1
उदय होते सूर्य की किरणें जातवेदसं ईश्वर की कृपा से उत्पन्न कल्याणकारी पदार्थों के वाहक के रूप मे प्राप्त होती हैं, जब विश्व के लिए सूर्य दृष्टीगोचर होता है.
When the morning Sun rises on the horizon, the learned realize sun’s rays are vending ( are the Vahan of ) divine gifts ( Vitamin D and photo biological products) for them . While for ordinary persons only rising of the Sun is the observation.)
Derive medicinal strength (in the form of hormon from morning sun’s rays for a healthy body. Thus by avoiding wrongful actions by being lazy and not get up in the morning to get advantage of morning sun for Vitamin D, attain long life.
Protect Environments.पर्यावरण सुरक्षा
11. आ पर्जन्यस्य वृष्ट्योदस्थामामृता वयं ।
व्यहं सर्वेण पाप्मना वि यक्ष्मेण सं आयुषा । AV3.31.11
प्रकृति वर्षा के समान के समान अमृत के तत्व प्रदान करती है. मैं इन प्राकृतिक साधनों के प्रयोग से दूर जा कर प्रकृति के विरुद्ध समस्त पापों से दूर रह कर क्षय करने वाले रोगों से दूर रह कर दीर्घायु बनूं.
Natural elements shower their bounties like rain from heavens for health and longevity. Do not spurn natural living and always protect the environments to live a long healthy life.