बीवियों के प्रति बर्ताव
अगर किसी पुरुष की एक से ज्यादा बीवियां हों और वह अक्सर नई शादियां करता रहता हो तो जटिल समस्याएं सामने आती हैं। मसलन, एक समस्या यह उठती है कि नयी बीवी के साथ पति को कितनी रातें बितानी चाहिए। इसका समाधान है कि वह कुंवारी हो तो सात दिन और विधवा हो तो तीन दिन (3443-3449)।
मुहम्मद की बीवियों में से एक, उम्म सलमा, हमें बतलाती है कि जब मुहम्मद ने उससे शादी की तो उन्होंने उसके साथ तीन रातें बितायीं। जब वे जाने लगे तो उसने ”उनका पहनावा पकड़ लिया।“ पर पैगम्बर ने उससे कहा-”तुम चाहो तो मैं तुम्हारे साथ एक हफ्ता रह सकता हूं, पर तब मुझे अपनी सभी बीवियों के साथ एक-एक हफ्ता रहना पड़ेगा“ (3443-3445)।
यद्यपि एक पति को अपनी बीवियों के बीच अपने दिन बराबर-बराबर बांट देने चाहिए, तथापि अगर कोई बीवी चाहे तो अपने हिस्से का दिन किसी दूसरी बीवी को दो सकती है। अहादीस (3451-3452) हमें बतलाती है कि सोदा बूढ़ी हो गई तो उसने अपने दिन आयशा को दे दिये। अतः रसूल-अल्लाह ने ”आयशा के लिए दो दिन तय किये“ (3451)।
किन्तु कई बार मुहम्मद खुद किसी बीबी से अपना दिन छोड़ देने को कहते थे। एक बीवी ने उनसे कहा-“अगर मेरे बस की बात होती तो मैं किसी और को अपने ऊपर तरजीह नहीं पाने देती“ (3499)।
आखिरकार पारी का नियम अल्लाह के एक विशेष विधान द्वारा खत्म कर दिया गया। ”तुम अपनी बीवियों में से, जिसकी चाहो उसकी बारी रद्द कर सकते हो और जिसे चाहो उसको अपने पास तलब कर सकते हो, और अगर तुम उसको अपने पास बुलाते हो जिसकी पारी तुम रद्द कर चुके हो तो इसमें कुछ बुराई नहीं“ (कुरान 33/51)। अल्लाह बहुत सुविधा देने वाला है। आयशा ने, जिसके फायदे के लिए वस्तुतः अल्लाह बोले थे, मुहम्मद पर फव्ती कसी-”ऐसा लगता है कि तुम्हारे अल्लाह तुम्हारी इच्छाएं तृप्त करने में बहुत त्वरा बरतते हैं (3453)।
author : ram swarup