भेंट-उपहार
कोई भी चीज जो भेंट या दान में दे दी जाय, वापस नहीं ली जानी चाहिए। उमर ने अल्लाह के रास्ते पर (यानी जिहाद के लिए) एक घोड़ा दान में दे दिया था। उसने देखा कि उसका घोड़ा दान पाने वाले के हाथों पड़ कर क्षीण हो रहा है, क्योंकि वह व्यक्ति बहुत गरीब था। उमर ने उसे वापस खरीदने का विचार किया। मुहम्मद ने उससे कहा कि ”उसे अब वापस मत खरीदो ….. क्योंकि वह जो दान को वापस लेता है, उस कुत्ते की तरह है जो अपनी उलटी निगलता है“ (3950)।
author : ram swarup