बढ़ कर बोली लगाना (बदनी)
मुहम्मद ने बढ़ कर बोली लगाना भी मना किया। ”एक व्यक्ति को सौदे में उस वक्त होड़ नहीं लगानी चाहिए जब उसका भाई पहले से ही सौदा कर रहा हो और जब उसका भाई किसी के साथ शादी का प्रस्ताव पहले ही रख चुका हो, तो किसी को उससे बढ़ कर शादी का प्रस्ताव नहीं रखना चाहिए, सिवाय उस समय ज बवह भाई इसकी अनुमति दे चुका हो“ (3618)। उन्होंने दलाली, अर्थात् ”रेगिस्तान के किसी आदमी की ओर से किसी कस्बे के आदमी द्वारा माल का बेचा जाना“ भी मना किया (3621)।
author : ram swarup