अल-अज़्ल
मैथुन-विच्छेद अर्थात् वीर्यपात के पूर्व लिंग को योनि से बाहर निकालने की अनुमति है, पर अगर इसका उद्देश्य गर्भाधान से बचना हो, तो यह व्यर्थ है। क्योंकि गर्भाधान तो अल्लाह के हाथ की बात है। अबू सिरमा बतलाते हैं-”हम रसूल अल्लाह के साथ चढ़ाई पर गये ….. और कुछ बढ़िया अरब औरतों को (हमने) पकड़ लिया, और हमने उनकी कामना की ….. पर हम उनकी छुड़ाई (रिश्तेदारों द्वारा दिया गया बदले का धन) भी चाहते थे। इसलिए हमने उनके साथ मैथुन किया लेकिन अज़्ल निभाया।“ उन्होंने मुहम्मद से सलाह ली, और उन्होंने सलाह दी-”अगर तुम ऐसा करते हो तो कोई फर्क़ नहीं पड़ता, क्योंकि कयामत के रोज़ तक जिस भी जीवात्माको पैदा होना है, वह पैदा होगा ही“ (3371)।
author : ram swarup