एहराम की दशा
”हज की किताब“ तीर्थयात्री की पोशाक और सज-धज के बारे में, और तीर्थयात्री की पोशाक पहन लेने के बाद एहराम (निषेध) की दशा में प्रवेश के बारे में है, जिसमें कि मक्का में अपनी इबादत पूरी कर लेने तक कोई अन्य काम करना मना किया गया है।
पोशाक के बारे में, ”कमीज या पगड़ी या पायजामा या टोपी पहनना“ मना है (2647)। एहराम की दशा में इत्र का इस्तेमाल मना है, पर उसके पहले या बाद में इस्तेमाल मना नहीं है। आयशा बतलाती हैं-”रसूल-अल्लाह जब एहराम में प्रविष्ट होते थे और जब उससे मुक्त हो जाते थे, तब मैं उन्हें इत्र लगाती थी“ (2683)। एक अन्य हदीस (2685) में वे आगे कहती हैं-”सबसे बढ़िया इत्र।“
author : ram swarup