Advice to Teachers on education from Vedas

gurukul

RV 3 .12 Advice to Teachers on education

Devtaa: Indragni = Self motivated & Fired with invincible spirit to always successfully achieve his goal.

देवता:-इन्द्राग्नि: = उत्साह और ऊर्जा से  पूर्ण सदैव अपने लक्ष्य को प्राप्त करने मे विजयी व्यक्ति

Create fire in their belly to be ultimate Doers.

ऋषि: गाथिनो विश्वामित्र:

प्रभु का गायन करने वाला सब  के साथ बन्धुत्व को अनुभव करता है और ‘ सखायस्त्वा वृणीमहे हम सब परस्पर सखा बन कर ही प्रभुका वरण कर सकते हैं यही भावना सभी से स्नेह करने वाला प्राणीमात्र का मित्र‘विश्वामित्र’ बना देती है.

शिक्षकों को उपदेश = विद्यार्थियों में (इन्द्राग्नि: ) उत्साह पूर्वक सदैव अपने लक्ष्य को प्राप्त करने मे विजयी व्यक्तित्व बनाएं

1.इन्द्राग्नी आ गतं सुतं गीर्भिर्नभो वरेण्यम | 
अस्य पातं धियेषिता ||ऋ3.12.1

To successfully lead their life, instil among your wards the students the temperaments of Self motivation fired with invincible spirit to always successfully achieve their  goals, and develop   physical and mental strengths with excellence of speech, intelligence & competence.

अस्य सुतं- इन बच्चों की (जीवन में), पातं – रक्षाके लिए, इन्द्राग्नी – जीवन में उत्साह पूर्वक कर्मपरायणता जैसे इंद्र के गुण और शरीर में अपने खान पान जीवन शैली से  ऊर्जा और स्वास्थ्य जैसी अग्नि की स्थापना करने के लिए , आ गतं- आ कर,गीर्भिर्नो – उत्तम वाणियों द्वारा, धियेषिता – उत्तम  बुद्धि के विकसित करें.

Social Community Responsibility 
2. इन्द्राग्नी जरितुः सचा यज्ञो जिगाति चेतनः | 
अया पातमिमं सुतम ||ऋ3.12.2

Develop sense of responsibility & temperaments to evolve knowledge creation and execute projects for community welfare.

इन्द्राग्नी के प्रभाव से चेतना और बुद्धि के विकास से समस्त संसार के पालन का प्रबंध उपलब्ध करवाओ.

Seminars-Workshops
इन्द्रमग्निं कविच्छदा यज्ञस्य जूत्या वृणे | 
ता सोमस्येह तृम्पताम || ऋ3.12.3

Hold seminars of experts to focus on current problems to arrive at consensus solutions and adopt them

कविच्छदा- विद्वानों के सत्संग से  , यज्ञस्य- धर्मसम्बंधी व्यवहार से , तृम्पताम- सब के सुख के लिए, इन्द्रमग्निं- समस्याओं को भस्म करने की योजना के  निर्णयों को, वृणे- स्वीकार करें.

Develop Problem Solving Talents

तोशा वृत्रहणा हुवे सजित्वानापराजिता | 

इन्द्राग्नी वाजसातमा ||ऋ3.12.4

Develop talents to develop fail safe solutions to problems, and ability to balance the allocation of resources for (R&D) knowledge development and execution of the projects.

वृत्र हणा- समस्याओं के दूर करने के लिए , तोशा – नाश कारक बाधाओं का , सजित्वानापराजिता –  विज्ञान शील पराजित न होने वाले प्रगति शील समाधानों द्वारा , वाजसातमा हुवे – समस्त ज्ञान विज्ञान के साधनों  और ऊर्जा की शक्तियों को प्राथमिकता के अनुसार महत्व दें.

Recognize the talented   
5.प्र वामर्चन्त्युक्थिनो नीथाविदो जरितारः | 
इन्द्राग्नी इष आ वृणे || ऋ3.12.5

Give recognition to research projects that propose strategies for growth and welfare of socity by participatory democratic processes.

वामर्चन्त्य – इन निर्णयों योजनाओं को कार्यान्वित करने वाले  दोनों -विद्वत्‌जन और प्रशासनीय कार्य कर्ता,  नीथाविदो- नम्रनिवेदन से , उक्थिनः उल्लेख के योग्य हैं.

Effectiveness of strategy  

6. इन्द्राग्नी नवतिं पुरो दासपत्नीरधूनुतम | 
साकमेकेन कर्मणा ||ऋ3.12.6

A single strategy implementation should be able to relegate the situations that bring harm to (90%) most of the community

एक ही सफल योजना के कार्यान्वित करने से अधिकांश (90%) समाज के कष्टों का निवारण सम्भव होता है.

Well conceived strategies 
7. इन्द्राग्नी अपसस्पर्युप प्र यन्ति धीतयः | 
ऋतस्य पथ्या अनु || ऋ3.12.7

To follow well meditated, fair and just strategies in all situations in short term and long term.

अपसस्पर्युप- कर्म मार्ग में सब ओर और समीप से, ‘ प्र यन्ति धीतय:’ बुद्धिमत्ता पूर्वक   ‘ऋतस्य पथ्या अनु’ सत्य मार्ग का अनुसरण करें

Staff & Line Function

8. इन्द्राग्नी तविषाणि वां सधस्थानि प्रयांसि च | 
युवोरप्तूर्य्यं हितम्‌ || ऋ3.12.8

To cultivate both the staff functions and line functions- the planners and executors should perform in tandem to implement all projects efficiently.

योजना आयोग और  कृयान्वन पक्ष  राजाऔर शासन  एक दूसरे के पूरक  बन के समस्त योजनाओं को शीघ्रता से सफल बनाते हैं .

Staff & Line Function

9.इन्द्राग्नी रोचना दिवः परि वाजेषु भूषथः | 
तद्वां चेति प्र वीर्य्यम्‌ ||ऋ3.12.9

राजा और शासन दोनों के पराक्रम और कर्मण्यता से सूर्य की ज्योति से प्रकाशित दिन के समान उज्वल समृद्ध समाज/राष्ट्र का निर्माण सम्भव है |

By the joint dedicated efforts of planning and executive immense welfare and prosperity of the community is possible.

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