ईसा मसीह मुक्तिदाता नहीं था …….
लेखक :- अनुज आर्य
इसाई लोग बड़े जोर सोर के साथ यह प्रचार किया करते है की इसा मसीह पर विश्वास ले आने से से ही मुक्ति मिल सकती है | अन्य कोई तरीका नहीं मुक्ति व् उद्धार का | स्वतः बाइबल में भी इसी प्रकार की बाते लिखी मिलती है जिनमे इसा मसीह को मुक्ति दाता बताया गया है | इस विषय में निम्न प्रमाण प्रायः उपस्थित किये जाते है | बाइबल में लिखा है कि –
” क्योंकि परमेशवर ने जगत से ऐसा प्रेम रक्खा कि उसे अपना इकलोता पुत्र दे दिया , ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो परन्तु अनंत जीवन पाए (१३) जो उस पर विश्वास करता है उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती , परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं रखता वह दोषी ठहराया जा चूका है , इसलिए की उसने परमेश्वर के इकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया (१८ ) जो पुत्र पर विश्वास करता है अनंत जीवन उसका है परन्तु जो पुत्र को नहीं मानता , वह जीवन को देखेगा परन्तु परमेश्वर का क्रोध उस पर रहता है ( ३६ ) ( युहन्ना ३ )
यह बात तो युहन्ना ने कही है की इसा पर ही विश्वास लाने से से उद्धार सम्भव है और जो उस पर विश्वास नहीं लाता उस पर परमेश्वर का कोप होगा | अब इसा मसीह का भी दावा देखिये वह क्या कहता है ? बाइबल में लिखा है –
” तब यीशु ने उनसे फिर कहा मै तुम से सच कहता हूँ की भेड़ो का द्वार मै हूँ ( ७) जितने मुझ से पहले आये वो सब डाकू और चोर है (८)द्वार मै हूँ यदि कोई मेरे भीतर प्रवेश करे तो उद्धार पायेगा (९)मेरी भेड़े मेरा शब्द सुनती है और मै उन्हें जानता हूँ और वे मेरे पीछे पीछे चलती है ( २७ ) और मै उन्हें अनंत जीवन देता हु और वे कभी नाश न होगी और कोई मेरे हाथ से छीन न लेगा (२८ )( युहन्ना १० )
इस उद्धरण में ईसा ने स्वंय को मनुष्य का उद्धारक बताया है और अपने भक्तो को भेड़े बताया है | भेड़ का यही गुण होता है की वह अन्धानुगमन करती है | यदि आगे की भेड़े कुए में गिर पड़े तो पीछे वाली भी उसी में गिरती चली जावेंगी उसमे सोचने की अकल नहीं होती | मसीह ने भी अपने चेलो को बुद्धिहीन व् मुर्ख भेड़े बताकर यह प्रकट कर दिया है की इसाई लोग बुद्धि से काम नहीं लेना चाहते है , वे सवतंत्र बुद्धि से कुछ नहीं सोच सकते है | यदि वे सोचने लगे तो न तो वे भेड़े रहे और न वे इसाई ही बने रह सकेंगे , क्योंकि फिर वे ईसा का अन्धानुगमन नहीं करेंगे |
साथ ही मसीह ने अपने से पहले पैदा हुए जननेताओ पैगमबरो को चोर डाकू बता कर गालिया दी है और उनकी निंदा की है ताकि लोगो का उन पर से विश्वास हट जावे और वे मसीह के अंधभक्त बन जावे |
अपने स्वार्थ के लिए दुसरो को गालिया देना बहुत ही निम्न स्तर की भद्दी बात है | यह बात प्रकट करती है की ईसा की विचारधारा कितनी गलत थी | ईसा मसीह अपने विरोधियो की हत्या भी कराया करता था | वह उनके विरोध को अपने सम्प्रदाय के फैलाने में घातक वा बाधक समझता था उसने स्वंय आदेश दिया था की –
” परन्तु मेरे उन बैरियो को जो नहीं चाहते की मै उन पर राज करू , उनको यहाँ लाकर मेरे सामने कत्ल करो ( लुका १९/२७ )
इस प्रकट है की मसीह प्रेम का प्रचारक नहीं था वह लोगो को धर्म और ईश्वर के नाम पर गुमराह करके अपनी हुकूमत इस्राइल में कायम करना चाहता था और एक नवीन सम्प्रदाय का प्रवर्तक बनने का प्रयत्न कर रहा था | साम दाम दंड भेद सभी हथकंडे वह काम में लाया करता था | उसने अपने विचारो को कभी छिपाकर भी नहीं रक्खा था | उसने स्पष्ट अपना उद्देश्य लोगो को बता दिया था | उसने घोषणा की थी कि –
” जो कोई मनुष्यों के सामने मेरा इंकार करेगा , उससे मै भी अपने स्वर्गीय पिता के सामने इंकार करूँगा ( ३३) यह न समझो की मै पृथ्वी पर मिलाप करने आया हूँ , मै मिलाप करने को नहीं पर तलवार चलाने को आया हूँ (३४)मै तो आया हूँ की मनुष्य को उसके पिता से , और बेटी को उसकी माँ से बहु को उसकी सास से अलग कर दूँ (३५)जो माता या पिता को मुझसे अधिक प्रिय जानता है वह मेरे योग्य नहीं है और जो बेटा या बेटी को मुझसे अधिक प्रिय जानता है वह मेरे योग्य नहीं ( ३७ )( मती -१० )
इन वाक्यों से मसीह ने अपना असली स्वरूप खोल कर सामने रख दिया है की उसका उद्देश्य इस्राइल समाज में आपस में युद्ध करवाना , समाजिक व्यवस्था का विध्वंश कराना , ईश्वर की आड़ में लोगो को धर्म का डर दिखा कर अपना चेला बनाकर सेना तैयार करना , पारिवारिक व्यवस्था को भंग करना , बाप बेटे , माँ बेटी के भाई बहन के पवित्र ओरेम को मिटवाना और घर घर में कलह पैदा कराकर लोगो को मोक्ष देने की आड़ में अपने साथ लेकर राज्य शासन को बागडोर हथियाना था | ईसा को उसके चेले यहूदियों का राजा बताते थे जैसा की उसकी सूली के समय लोगो ने उसे बताया था समाज में अव्यवस्था फैलाना व् धर्म तथा मोक्ष के नाम पर पुरानी व्यवस्थाओ को भंग करना सामाजिक व् राजनैतिक अपराध था और इसलिए ईसा को सूली दी गयी | अपना चेला बनने पर खुदा से सिफारिश करके मुक्ति दिलाने और जो चेला न बने उसकी सिफारिश न करके उसे दोजख में डलवाने आदि का प्रलोभन व् धमकी देना सरासर मसीह के गलत हथकंडे थे जिससे वह लोगो को फाँसकर अपनी भेड़ो की संख्या बढ़ाता करता था |
क्योंकि ईसा मसीह का जन्म माँ के क्वारेपन के गर्भ से हुआ था अतः उसके वास्तविक पिता को कोई नहीं जानता था और मरियम ने भी मसीह के वास्तविक मानवी पिता का नाम कभी किसी को नहीं बताया था अतः मसीह ने अपने को खुदा का ख़ास बेटा बताकर लोगो को धोखा दिया था |
मसीह का उद्देश्य उपर के प्रमाणों से अपवित्र साबित होता है | केवल वे ही लोग उसके चक्कर में फंस गये थे जिनकी बुद्धि सत्यासत्य के निर्णय में समर्थ नहीं थी इसलिए मसीह ने भी उनको भेड़े बताया था | तो जो मसीह क्रोधी हो अपने विरोधियो का कत्ल कराता हो समाज में तलवारे चलवाकर विद्रोह पैदा करता रहा हो जिसका उद्देश्य व् लक्ष्य श्रेष्ठ न रहा हो और जो स्वंय अपना उद्धार न कर सका हो जिसे उसके विरोधियो ने बदले में पकड़कर सूली पर चड़ा दिया हो और जो मौत से अपनी रक्षा न कर सका हो उसे संसार का उद्धारकर्ता खुदा का इकलौता बेटा तथा मोक्ष दाता नहीं माना जा सकता है | केवल इसाई भेड़े ही आँख बंद करके उस पर ईमान ला सकती है जैसा की बाइबल में लिखा है |
समझदार व्यक्ति यह नहीं देखते है की कोई क्या दावा करता है वरन वे यह देखते है की क्या दावा करने वाले में दावे को सत्य सिद्ध करने की क्षमता भी है या उसका दावा केवल आत्मप्रशंसा या स्वार्थपूर्ति के लिए कोरा धोखा है | मसीह का दावा सर्वथा गलत उस समय हो गया जब उसे सूली पर चड़ा दिया गया | उस समय न तो खुदा या उसकी फौजे ईसा की मदद को आई और न ही वह स्वंय मौत से बचने का कोई चमत्कार दिखा सका |मुक्ति ईसा या किसी व्यक्ति पर विश्वास लाने से नहीं मिल सकती है हर व्यक्ति के कल्याण के लिए उसके भले व् बुरे कर्म ही जिम्मेवार होते है प्रत्येक प्राणी अपने ही कर्मो का फल भोगता है | स्वंय बाईबल में भी इस विषय के कई प्रमाण मिलते है जिनसे ईसा मसीह का यह दावा झूठा हो जाता है की वह लोगो के पाप नाश करके उनका उद्धार केवल उस पर विश्वास लाने से कर देगा | बाइबल के चंद प्रमाण इस विषय में द्रष्टव्य है —
” जो प्राणी पाप करेगा वही मरेगा | न तो पुत्र पिता के अधर्म का भार उठाएगा और न पिता पुत्र के धर्मो का |अपने ही धर्म का फल और दुष्ट को अपनी दुष्टता का फल मिलेगा ( यहेजकेल १८/२० )
धोखा न खाओ , परमेश्वर टटटो में नहीं उड़ाया जाता , क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है वही काटेगा ( गलतियों ६/७)
” परमेश्वर हर एक को उसके कर्मो का प्रतिफल देगा “( मत्ती १६/१७)
बाईबल के उपर प्रमाण यह घोषणा करते है की सभी मनुष्यों को उनके कर्मानुकुल ही फल मिलेगा | इससे किसी भी एक आदमी पर ईमान लाने की आवश्यकता नहीं है और न कोई आदमी किसी के पाप पुण्य को क्षमा कर सकता है |कर्म करना हर मनुष्य के अधिकार की बात है और फल देना परमात्मा का काम है | मनुष्य और परमात्मा के बिच किसी भीं दलाल या वकील की कोई आवश्यकता नहीं है | ईसा मसीह या मुहम्मद साहब या अन्य किसी भी एजेंट या वकील की आवश्यकता नहीं है | शुभ अशुभ कर्मो की ही प्रधानता फल भोग में रहती है | बाइबल में भोले लोगो को लिखा है की मसीह लोगो के पाप अपने साथ ले गया था यह बात भी गलत है पाप क्या कोई धातु या कपडा के थोड़े होते है जो कोई लाद के ले जावेगा ? जो मसीह स्वंय अपने गलत कर्मो और पापो की वजह से सूली पर चडाया गया , अपने को ही अपने पापो से न बचा सका वह बेचारा दुसरो के पाप क्या दूर करेगा ? यदि ईसा मसीह की सिफारिश मान कर लोगो के पाप दूर करा देगा तो कुरआन में मुहम्मद साहब का और गीता में श्री कृष्ण जी का दावा भी क्यों न माना जाए ?सभी ने ईसा की तरह पाप दूर करने का ठेका लिया था | गंगा गंगा जपने से , शिवलिंग के दर्शन करने से , राम राम कृष्ण कृष्ण करने से भी पापो का दूर होना क्यों न माना जावे ? हिन्दुओ के पाप नाश के तरीके इसाई मुसलमानों के नुस्खो से सस्ते और श्रेष्ठ है तो इसाई स्वंय भी हिन्दुओ के तरीको से लाभ क्यों नहीं हिन्दू बनकर लाभ उठाते है ?
ईसाई जीवात्मा को अनादी अनंत सत्ता तो मानते नहीं है और न पुनर्जन्म को ही मानते है तो यदि हम उनकी मान्यता पर यह कहें की जन्म के समय उनकी आत्मा खुदा पैदा कर देता है और उसके मरने के बाद वह नष्ट हो जाती है , मरने के बाद जीवात्मा या रूह नाम की कोई वस्तु कायम नहीं रह जाती है जिसे स्वर्ग या दोजख में उनका खुदा भेजता है न कोई मुक्ति है न कोई स्वर्ग नरक है न कोई वकील या दलाल मसीह या मुहम्मद साहब की हस्ती खुदा से सिफारिश कराने वाली है तो इसमें क्या गलती होगी ? इसाई मुसलमानों के पास ऐसी कोई दलील मरने के बाद जीवात्मा अस्तित्व साबित करने की नहीं हो सकती है |जब पुनर्जन्म नहीं होना है और जीवो को पुनः भले बुरे कर्म करने का आगे कभी अवसर नहीं मिलना है तो फिर मरने के बाद उसे कायम रखने की जरूरत साबित नहीं की जा सकती है ? तब ईसा मसीह का लोगो को अपने चेले बनाकर मुक्ति खुदा से बाईबल में सिफारिश करने की सारी बात स्वंय गप्पाषटके साबित हो जाती है |
इसके अतिरिक्त इसाई खुदा से न्याय की आशा भी नहीं की जा सकती है | क्योंकि वह गुस्सेबाज है ( याशायाह ५४/७-८ ) | वह गलती करके पछताता रहता है ( शैमुअल १५/३५ तथा उत्पत्ति ६/६ ) |खुदा मुकदमे लड़ता था ( यहेजकेल १७/२० ) आदि में खुदा को कम समझने वाला भी साबित किया गया है | तो ऐसा खुदा दुसरो से क्या न्याय करेगा | सम्भव है वह न्याय में भी गलती करके फिर पछताने लगे और जीवो का सर्वनाश गुस्से में कर डाले | ऐसे कम समझ इसाई खुदा पर ईमान लाना भी इसाइयों की भूल है |
ईसा मसीह को खुदा का इकलौता बेटा बताकर भी बाइबल ने सत्य नहीं बोला है | बाइबल में अय्यूब १/६ में लिखा है की इसाई ईश्वर के बहुत से बेटे है केवल एक बेटा नहीं था तथा भजन संहिता ८२ में लिखा है की ईश्वर भी बहुत से है तो इसाई बतावे की उनका ख़ास खुदा बहुत से खुदाओ में से कोण था जिसे वे मानते है और जब सैकड़ो बेटे अय्यूब १ में लिखे है तो वे मसीह को इकलौता बेटा बता कर वे लोगो को धोखा देकर जुर्म क्यों करते है | समझदार व्यक्ति जानता है की वैदिक धर्म के सत्य तर्क युक्त सिद्धांतो के सामने इसाई मत के सिद्धांत ठहर नहीं सकते है | इसाई लोग अपनी कल्पित बात लोगो को सुना सुनाकर लोभलालच देकर फांसने व् गरीब हिन्दुओ का ईमान भ्रष्ट करते रहते है | अतः सभी को इस मजहब के प्रचारको से सावधान रहना चाहिए जहाँ भी इसाई प्रचारक जावे उन्हें शास्त्रार्थ के लिए ललकारना चाहिए और उनकी कलई खोलनी चाहिए ताकि कोई हिन्दू इनके चक्कर में न फंस सके |
सभी भारतीय इसाई नस्ल से हिन्दू ही है | कभी लोग लालच या दबाव के कारण वे या उनके पूर्वज इसाई बने होंगे | उनको पुनः शुद्ध करके हिन्दू धर्म में शामिल कर लेना चाहिए और उनके साथ समानता का व्यव्हार करना चाहिए |