(ङ) इस विषय में आर्य समाज का कुछ प्रयत्न तो रहा है, कहीं-कहीं आर्य समाजों में बिना गणेश की लग्न पत्रिका मन्त्रों से युक्त भी मिलती है। इसके लिए योजना हो सकती है जो कि शीर्षस्थ सभाओं की धर्मार्य सभा का कार्य है।
लग्न पत्रिका को तो आप व्यक्तिगत रूप से भी क्रियान्वित कर सकते हैं। कुछ काम हम अपने स्तर पराी कर सकते हैं, हमारे द्वारा किये जा सकते हैं। कुछ कार्य सभाएँ ही कर सकती हैं किन्तु सभाओं की आज कथा ही क्या कहें, इनको जो करना था 140 वर्षों में वह न कर कुछ और ही कर रही हैं जो कि आपको व अन्य संवेदनशील आर्यों को पीड़ित करती हैं।
– ऋषि उद्यान, पुष्कर मार्ग, अजमेर