(ख) स्रुवा को तीन अंगुलियों से पकड़ने का विधान महर्षि दयानन्द द्वारा ही वर्णित मिलता है, कहीं और स्थान पर इसका वर्णन हो ऐसा देखने में नहीं आया। तीन से पकड़े जाने का प्रयोजन क्या है, इसका भी वर्णन देखने को नहीं मिलता। हाँ अपनी कुछ संगतियाँ तो लगा सकते हैं। पाँचों अँगुलियों में एक-एक महाभूत कुछ लोग मानते हैं- इस आधार अँगुलियों की मुद्रा विशेष भी बनाई जाती हैं, जिससे कुछ शारीरिक प्रभाव पड़ता है। हो सकता है यहाँ भी वह प्रभाव होता हो, इस दृष्टि इन तीनों से स्रुवा पकड़ने लिए कहा हो। अथवा अन्य कोई प्रयोजन विद्वान् लोगों ने विचार किया हो तो हमें ज्ञात करावें।