महर्षि दयानन्द ने अन्त समय में जो तिथि वार आदि पूछे, वे सामान्यरूप से पूछे गये प्रतीत होते हैं। इसमें कोई बड़ा रहस्य हो ऐसा लग नहीं रहा। कई बार हम श्रद्धावशात् सामान्य को भी विशेष रूप में देखने का प्रयास करने लगते हैं और इस हमारे प्रयास में कहीं न कहीं पौराणिकता आ जाती है।
हाँ आपने जो औषधियों पर प्रभाव की बात कही वह तो सकती है, होती होगी।