अब तक कितने मनु हुए? इस विषय में सर्वांशरूप से तो कुछ नहीं कह सकते। मनु नाम के कितने ऋषि वा मनुष्य हुए, यह कहना कठिन है। हाँ, मनुस्मृति के रचनाकार महर्षि मनु वा स्वायम्भुव मनु का इतिहास तो अनेकत्र उपलब्ध होता है, जो कि आदि सृष्टि में हुए हैं, किन्तु और कितने तथा कौन-कौन नाम वाले मनु हुए, इसका इतिहास प्राप्त नहीं है। हाँ, अनार्ष ग्रन्थ भागवत पुराण में चौदह मनुओं का व उनके पुत्रादि का वर्णन मिलता है, किन्तु यह तो उनकी कल्पना ही लगती है।
मन्वन्तर रूपी काल के नाम तो उपलब्ध हैं, जैसे दिनों के नाम रवि, सोम एवं महिनों के नाम चैत्र, ज्येष्ठ आदि हैं, उसी प्रकार चौदह मन्वन्तरों के भी नाम हैं- १. स्वायम्भुव, २. स्वरोचिष, ३. उ ाम, ४. तामस, ५. रैवत, ६. चाक्षुष, ७. वैवस्वत, ८. सावर्णि, ९. दक्षसावर्णि, १०. ब्रह्मसावर्णि, ११. धर्मसावर्णि, १२. रुद्रसावर्णि, १३. देव सावर्णि, १४. इन्द्रसावर्णि। ये मनु हैं, अथवा ये चौदह मन्वन्तर के नाम हैं।
इस विषय में अनार्ष ग्रन्थ भागवत पुराण में लिखा है-
राजंश्चतुर्दशैतानि त्रिकालानुगतानि ते।
प्रोक्तन्येभिर्मितः कल्पो युगसाहस्रपर्ययः।।
– ८.१३.३६
हे राजन! ये चौदह मन्वन्तर भूत, वर्तमान और भविष्य- तीनों ही कालों में चलते रहते हैं। इन्हीं के द्वारा एक सहस्र चतुर्युगी वाले कल्प के समय की गणना की जाती है।
ये चौदह नाम मनु के मिलते हैं और ये समय (काल) के नाम हैं। काल जड़ है, चेतन नहीं है। जड़ होते हुए ये चेतन की भाँति किसी प्रकार का ज्ञान देने में असमर्थ हैं, ज्ञान नहीं दे सकते।