इसमें परेशान होने की बात नहीं है। कभी – कभी मन में ऊँचे-नीचे ख्याल आते रहते हैं। हम मनुष्यों का मन अच्छा भी सोचता है, बुरा भी सोचता है। मन पॉजीटिव भी सोचता है, नेगेटिव भी सोचता है। मन में जो विचार चलते रहते हैं, वे कभी-कभी कल्पना में आ जाते हैं। इसलिए यदि सहसा ऐसा कोई विचार कौंध गया तो उससे घबराने या परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।
इससे ऐसा संकेत नहीं समझना चाहिए कि उसने दीपक बुझा दिया तो कोई अनिष्ट या दुर्घटना हो जाएगी। यह तो संयोग की बात है। दुनिया में घटनाएं-दुर्घटनाएं होती रहती हैं। पर दीपक बुझाने से उसका कोई सीधा लेना-देना नहीं है।