आर्य पत्रों की समाचार शैली कैसी थी?-

हरियाणा में एक आर्य प्रचारक के निधन पर शोक सभा में भाषण देने व भाग लेने वाले अनेक सज्जनों के नाम पत्र में पढ़े। मरने वाले के बारे में चार पंक्तियाँ भी नहीं छपी मिलीं। इसे नाम की भूख कहें या हमारे आज के पत्रों का घटिया स्तर? यत्न करूँगा कि सौ, सवा सौ वर्ष पुराने पत्रों में छपे समाचार दो-चार लेखों में दूँ। अब सिद्धान्त की बात नहीं होती, लीडर सूची समाचारों में होती है। यह बहुत दुःख का विषय है। पं. लेखराम जी तथा महात्मा मुंशीराम जी उत्सवों में विद्वानों के व्याख्यानों का सार दिया करते थे। सबसे अन्त में अपने भाषण की चर्चा किया करते थे। ‘आर्य समाचार’ मेरठ के प्रचार-समाचार पाठकों में उत्साह व जोश का संचार कर देते थे। आज के पत्र तो ‘लीडर नामा’ और व्यक्तियों के प्रचार को बढ़ाने वाले हैं। ‘सार्वदेशिक’ मासिक के १९३८-१९४६ तक के अंकों को देखिये….।