मनुष्य को बार-बार जन्म देना भगवान का उद्देश्य नहीं है। उसका उद्देश्य तो ‘मोक्ष’ में भेजना है। पर जब हम मोक्ष वाले कर्म ही नहीं करेंगे, तो भगवान क्यों मोक्ष में डाल देगा? कमी हमारी ओर से है, भगवान की ओर से नहीं। भगवान ने तो कह रखा है, ‘ब्रह्मलोक’ में जाओ, ‘मोक्ष’ में जाओ, यहाँ संसार में मत पड़े रहो, यहाँ तो दुःख भोगना पड़ेगा।
यह हमारी गड़बड़ है, हमारी कमी है। हम मोक्ष के लिए काम नहीं करते, बल्कि पुत्रैषणा, वित्तैषणा और लोकैषणा के लिए काम करते हैं। इसलिए भगवान हमको बार-बार जन्म देता है।
मोक्ष पाना हमारे हाथ में है, मोक्ष वाले कर्म करेंगे, तो मोक्ष मिल जाएगा। जैसे परीक्षा में अच्छे अंक लाना विद्यार्थी के हाथ में है। परीक्षक तो केवल निर्णायक है। इसी प्रकार से संसार में जन्म लेना या मोक्ष प्राप्त करना हमारे हाथ में है। ईश्वर तो केवल फलदाता निर्णायक है।