हिंसक प्राणियों साँप, बिच्छु, चींटी, काकरोच आदि के साथ कैसा व्यवहार करें?

जहां तक संभव हो, इनको न मारें। झाडू मारके इनको हटा दो, बाहर कर दो। घर में कौऐ घुसते हैं, कबूतर आते हैं, चिड़िया आती हैं, हम बाहर निकाल देते हैं। चोर आता है, उसको भी बाहर निकाल देते हैं। बिच्छू, साँप आयेगा, उसको भी बाहर निकाल देंगे, मारेंगे नहीं। जहाँ तक हो सके, इन प्राणियों को नहीं मारना चाहिए।
स लोग सांप को देखते ही मारते हैं। अगर उनसे पूछें कि क्यों भाई, क्यों मारते हो? तो जवाब देते हैं – ये साँप काट लेगा। हम अगर उनसे पूछें, कि अभी काटा तो नहीं न। तो फिर क्यों मारते हो? तो वे कहते हैं, कि साहब इसकी संभावना है।’ तो इसका जवाब है कि ‘संभावना के आधार पर आप किसी को दण्ड दे सकते हैं क्या? न्याय का नियम यह है, कि जब तक कोई अपराध न कर ले, तब तक उसे दण्ड नहीं दिया जा सकता है। हम रेल में चलते हैं, बस में चलते हैं, कितने सारे लागे चलते हैं, तो संभावना तो किसी की भी हो सकती है, कि कोई भी जेब काट सकता है। क्या बिना जेब काटे ऐसे केवल संभावना के आधार पर में सबको पकड़ के जेल के अंदर कर देंगे? ऐसा तो नहीं कर सकते। तो केवल संभावना के
आधार पर दंड नहीं दे सकते। जब तक कि वो अपराध न कर लें। ‘
स अपनी सुरक्षा रखो, खिड़कियों में जाली लगाओ, कौओं, कबूतर, चिड़ियों को मत घुसने दो। मच्छर काटते हैं, मच्छर दानी लगाओ, तो जहाँ तक हो सके, इनको नहीं मारना चाहिए। देखिए, चौबीस साल से हम जंगल में रहते हैं। (हम जंगल में जरूर रहते हैं पर पूरे जंगली नहीं हैं( यहां आस-पास में काफी सांप रहते हैं। और खूब सांप आगे-पीछे, इधर-उधर घूमते रहते हैं। तालाब की तरफ खूब साँप आते हैं। हमने आज तक एक भी सांप नहीं मारा और न साँप ने हमको काटा। हम उनको नहीं छेड़ते, वो हमको नहीं छेड़ते। वो चुपचाप चले जाते हैं। हम अपना चुप-चाप चले जाते हैं, कुछ भी नहीं करते। आप भी ऐसा ही करने का प्रयत्न करें।
स बिल्कुल इमरजेन्सी हो, बहुत मुसीबत आ रही हों, तो मजबूरी में उनको हटा सकते हैं। और मान लो, मारने की बहुत मजबूरी हो, और आपको ऐसा लगता हो कि साँप बिल्कुल आपके ऊपर आक्रमण करने को तैयार है । और आपको अपनी जान का खतरा है, तो आप भी मार सकते हैं, पर द्वेष के कारण नहीं मारना। अपनी रक्षा के लिए तो मारेंगे तो उसमें थोड़ा दण्ड तो मिलेगा, पर ज्यादा नहीं मिलेगा। द्वेष के कारण मारेंगे तो ज्यादा दण्ड मिलेगा। अपनी रक्षा करने का अधिकार सबको है, इस प्रकार से जहाँ तक संभव हो सके, वहाँ तक किसी को न मारें।

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