जिसने हम पर अन्याय किया, चाहे माता की भूल से हुआ, चाहे पिता की भूल से हुआ, चाहे गुरु, टीचर, पड़ोसी कोई भी, चोर-डाकू आदि ने जितना दुःख हमको दिया, उतना उसका अपराध है। उस अपराध का उसको दंड मिलेगा।
स अन्याय का दण्ड चाहे समाज दे, राजा दे, सरकार दे, ईश्वर दे, जो भी दे, कोई न कोई उसको दंड देगा। अपराध का दंड समाज ने नहीं दिया, राजा ने नहीं दिया तो अंत में ईश्वर जरूर देगा। वो नहीं छोड़ने वाला। हम किसी पर अन्याय करेंगे तो ईश्वर हमको दंड देगा। कोई दूसरा हम पर अन्याय करेगा तो ईश्वर उसको दंड देगा। अन्यायकारी को दंड मिलेगा।
स दूसरी बात, जिस पर अन्याय हुआ, जिसका नुकसान हुआ, उसको कम्पन्सेशन (क्षतिपूर्ति) मिलेगा। उसके नुकसान की पूर्ति ईश्वर कर देगा। सरकार न्याय कर सकती है तो ठीक है, नहीं कर सकती, तो अंत में ईश्वर करेगा। इस प्रकार कम्पन्सेशन की गारंटी तो है, लेकिन वो भी पूरी सुरक्षा तो नहीं है न। एक बार तो मार खानी पड़ी न।
स पूरी तरह से सुरक्षा केवल मोक्ष में है। वहाँ पर कोई व्यक्ति हम पर आक्रमण कर ही नहीं सकता। अगर आपको ऐसा ठीक समझ में आता हो कि कोई हमारा नुकसान कर ही नहीं पाए तो फिर ‘मोक्ष’ की तैयारी करो।
स मेरी समझ में खूब अच्छी तरह आ गया है कि यहाँ संसार में कहीं भी पूरी सुरक्षा नहीं है। इसलिए मैं तो मोक्ष में जा रहा हूँ। आपको आना है तो आ जाओ। साथ-साथ करो तैयारी, पीछे-पीछे आप भी चले आओ।
स मैं अकेला मोक्ष में नहीं जाना चाहता। जो अकेला मोक्ष में जाना चाहता है, वह स्वार्थी है। ऐसे स्वार्थी व्यक्ति को ईश्वर मोक्ष देता भी नहीं। मोक्ष प्राप्ति के लिए निःस्वार्थ भाव से परोपकार करना चाहिए। इसीलिए मैं परोपकार करता हूँ, और आप जैसे अनेक लोगों को मोक्ष में ले जाना चाहता हूँ। आप भी तैयारी करें।